रविवार, 11 अप्रैल 2010

33 में से 29 परीक्षार्थी अयोग्य

दुर्ग, 11 अप्रैल। एसएएफ में एपीसी (बाबू) पद के भर्ती के लिए आज आयोजित लिखित परीक्षा से 29 आवेदकों को परीक्षा के ऐनवक्त पर अयोग्य घोषित कर दिया गया। जिसके कारण आवेदकों ने दुर्ग पालीटेक्निकल कालेज के परीक्षा केंद्र में एसएएफ के उच्चाधिकारियों के खिलाफ जमकर विरोध जताया। लिहाजा परीक्षा केंद्र में गहमागहमी का माहौल निर्मित रहा। एसएएफ के उच्च अधिकारियों का कहना था कि लिखित परीक्षा से वंचित आवेदक भर्ती के निर्धारित मापदंड पर खरे नहीं उतर रहे थे। जिसके चलते पीएचक्यू के आदेश के बाद उन्हें परीक्षा से वंचित रखा गया। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि लिखित परीक्षा के पहले आवेदकों की अयोग्यता की पड़ताल क्यों नहीं की गई। ऐन परीक्षा के वक्त 29 आवेदकों को अयोग्य घोषित कर एसएएफ के उच्च अधिकारी क्या साबित करना चाहते हैं, यह समझ से परे है।


परीक्षा से वंचित आवेदकों में इसे लेकर भारी आक्रोश है। जो परीक्षा केंद्र में उनके विरोध से साफ नजर आया। एसएएफ में एपीसी (बाबू) पद पर भर्ती के लिए आवेदक शारीरिक परीक्षण, टाइपिंग व कंप्यूटर की परीक्षा में अपनी सिद्धता पेश कर लिखित परीक्षा के लिए चुने गए थे। परीक्षा के लिए आवेदकों को बकायदा प्रवेशपत्र भी जारी किए गए थे, किंतु आवेदक आज परीक्षा देने पहुंचे तभी परीक्षा केंद्र में आए पीएचक्यू के एक नए आदेश ने उन्हें परीक्षा से वंचित कर दिया। 33 आवेदकों में से केवल 4 आवेदक ही परीक्षा में शामिल हो पाए। शेष 29 आवेदकों को पीएचक्यू के आदेश ने मायूस होकर वापस लौटने मजबूर कर दिया। परीक्षा के ऐन वक्त पर यह निर्णय किसकी लापरवाही है यह तय करना मुश्किल है। लेकिन इस फरमान ने युवा बेरोजगार आवेदकों के एसएएफ में भर्ती के अरमानों पर पानी फेर कर रख दिया। इससे आवेदकों में आक्रोश है। जानकारी के मुताबिक एसएएफ के एपीसी (बाबू) पद पर भर्ती के लिए आज सुबह दुर्ग पालीटेक्निक कालेज में लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी। परीक्षा के लिए करीब 33 आवेदक पालीटेक्निक कालेज के परीक्षा केंद्र पहुंचे थे। लेकिन परीक्षा के कुछ देर पहले ही एसएएफ के एक उच्च अधिकारी पीएचक्यू का आदेश लेकर परीक्षा केंद्र पहुंचे। जिसमें लिखित परीक्षा में शामिल होने के लिए नए मापदंड का निर्धारण था। आदेश के तहत जब आवेदकों की नए सिरे से पड़ताल की गई तो 33 में से 29 आवेदक परीक्षा की पात्रता के अयोग्य पाए गए। केवल 4 आवेदक ही नए मापदंड के अनुसार परीक्षा देने की पात्रता में खरे उतरे। शेष 29 आवेदकों को लिखित परीक्षा से वंचित कर दिया गया। यह खबर आवेदकों तक पहुंचने से परीक्षा केंद्र का माहौल गरमा गया। अयोग्य घोषित आवेदक नए फरमान के विरोध में लामबंद हो गए। जिसके चलते परीक्षा केंद्र में गहमागहमी का माहौल निर्मित हो आया। लिखित परीक्षा से वंचित आवेदकों में इसे लेकर आक्रोश था।

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चंदूलाल में युवक की मौत पर बवाल

भिलाई, 11 अप्रैल। नेहरू नगर स्थित चंदूलाल चंद्राकर हास्पिटल में इलाज के दौरान युवक मुकेश जैन (28 वर्ष) पिता संपतराज जैन इंदिरा मार्केट दुर्ग निवासी की मौत के मामले में परिजनों ने आज सुबह अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया। परिजनों का आरोप था कि अस्पताल के चिकित्सकों की लापरवाही के चलते मुकेश की मौत हुई है। अन्यथा उसे बचाया जा सकता था। परिजनों के हंगामे से अस्पताल में गहमागहमी का माहौल था। खबर पर सुपेला पुलिस भी मौके पर पहुंची और परिजनों को समझाने का प्रयास भी किया। लेकिन परिजनो का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा था।

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक इंदिरा मार्केट दुर्ग निवासी मुकेश जैन (28 वर्ष) को 5 अप्रैल को उल्टी की शिकायत पर चंदूलाल चंद्राकर हास्पिटल में दाखिल करवाया गया था। परिजनों का आरोप है कि उपचार के बाद भी मुकेश बेचैनी महसूस कर रहा था। उसकी तबियत सुधरने के बजाए बिगड़ती जा रही थी। स्वास्थ्य में सुधार नहीं आने से मुकेश को आईसीयू के वेंटीलेटर में रखा गया था। काउंसलिंग के दौरान चिकित्सकों द्वारा परिजनों को मुकेश का स्वास्थ्य कभी अच्छा तो कभी खराब बताया जाता रहा। इस स्थिति से घबराए परिजनों ने चिकित्सकों से मुकेश को सेक्टर-9 अस्पताल रिफर करने की मांग भी की थी। लेकिन चिकित्सकों ने मुकेश के आईसीयू वेंटीलेटर में होने का हवाला देते हुए मांग को नजरअंदाज कर दिया था। बीती रात करीब 10.30 बजे मुकेश जैन ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। मुकेश की मौत से परिजन आक्रोशित हो उठे। आज सुबह बड़ी संख्या में उसके परिजन चंदूलाल चंद्राकर हास्पिटल पहुंचे और मुकेश की मौत पर लापरवाही का आरोप लगाया। जिसके बाद अस्पताल में गहमागहमी की स्थिति निर्मित हो गई थी। परिजनों का आरोप था कि चिकित्सकों द्वारा मृतक मुकेश जैन का 2 मृत्यु प्रमाणपत्र तैयार किया गया था। जिसमें मौत का अलग-अलग कारण दर्शाया गया था। 5 दिन के इलाज में परिजनों के कुल 80 हजार रूपए खर्च हुए। परिजनों ने 80 हजार खर्च का केश शीट मांगा तो अस्पताल प्रबंधन ने कोताही बरती। हालांकि बाद में केश शीट दिया गया। मुकेश की मौत पर विरोध जताने के दौरान आज उसके परिजन कांतिलाल जैन (गोलू), पारस जैन, गौतम चंद, मोहनलाल कोठारी, मुन्नालाल, रूपचंद एवं अन्य लोग मौजूद थे।

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सड़क हादसे में युवक की मौत

दुर्ग, 11 अप्रैल। नेवई पुलिस चौकी अंतर्गत श्याम नगर रिसाली गांव निवासी खोमेश यादव (23 वर्ष) पिता गेंदू यादव की आज सुबह एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। मृतक रसमड़ा स्थित टापवर्थ कंपनी में काम करता था। घटना के वक्त वह ड्यूटी से अपने घर लौट रहा था। हादसे के लिए दोषी अज्ञात डंफर का चालक घटना के बाद से फरार है। पुलिस ने डंफर को जब्त कर लिया है। पुलिस नेल डंफर के नंबर के आधार पर चालक की तलाश तेज कर दी है।

जानकारी के मुताबिक टापवर्थ कंपनी कर्मी खोमेश यादव आज सुबह ड्यूटी से छूटने के उपरांत अपनी मोटरसाइकिल पर घर लौट रहा था। वह राजहरा रेलवे क्रासिंग के पास पहुंचा था तभी डंफर ने उसे अपने चपेट में ले लिया। हादसे में खोमेश यादव को सिर पर गंभीर चोटें आई थी। उसे कालेज छात्रों ने उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती करवाया। उपचार के दौरान करीब 11.30 बजे खोमेश ने दम तोड़ दिया। बताया गया है कि घटना के समय डंफर का चालक मौके पर डंफर को छोड़कर भाग गया। चालक का तब से कुछ पता नहीं चल पाया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। डंफर के नंबर के आधार पर डंफर के मालिक व उसके चालक की पतासाजी की जा रही है।

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गंदा पानी लेकर पहुंचा निगम का टैंकर

दुर्ग, 11 अप्रैल। भारी पेयजल संकट से जूझ रहे दीपक नगर वार्ड में आज सुबह गंदे पानी से भरे निगम का टैंकर पहुंचने से बवाल मच गया। क्षेत्र के रहवासियों के अनुसार टैंकर के पानी का कुछ लोगों ने उपयोग भी कर लिया था। लिहाजा गंदे पानी से घरों में तैयार भोजन ने कुछ देर बाद अपना असर दिखाया। जिसके चलते क्षेत्र में कुछ घरों में निवासरत लोगों को अचानक उल्टी-दस्त की शिकायतें सामने आई। एकाएक उल्टी-दस्त की शिकायत से क्षेत्र के लोग हैरत में रह गए। यह खबर दीपक नगर वार्ड की पार्षद एवं महिला बाल विकास विभाग प्रभारी मीना सिंह तक भी पहुंची और वह फौरन पीडि़त लोगों से जाकर मुलाकात की। उल्टी-दस्त की शिकायत पर सबसे पहले निगम के आए टैंकर के पानी की पड़ताल की गई तो पार्षद समेत क्षेत्र के नागरिकों ने टैंकर का पानी गंदा होना पाया। टैंकर का पानी गंदा होना पाए जाने पर क्षेत्र के लोग आक्रोशित हो उठे। इस बीच यह खबर क्षेत्र में आग की तरह फैली कि वार्ड में टैंकर से आया पेयजल दूषित है। लिहाजा जिन लोगों ने टैंकर का पानी उपयोग के लिए एकत्रित किया था। उनके द्वारा तत्काल टैंकर के पानी को फेंक दिया गया। दीपक नगर वार्ड की पार्षद मीना सिंह ने कहा है कि वार्ड में पेयजल संकट से निपटने निगम से दो टैंकर पेयजल मंगवाया गया था। जिसमें से 3 नंबर क्रमांक टैंकर में भरा पानी गंदा पाया गया।

गंदे पानी के उपयोग से लोगों में उल्टी-दस्त की शिकायतें भी सामने आई है। इसके लिए पार्षद मीना सिंह ने जलगृह प्रभारी नीता जैन व विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। मीना सिंह का कहना था कि निगम द्वारा पानी का टैंकर किसी वार्ड में भेजे जाने के पहले पेयजल की शुद्धता की जांच की जानी चाहिए। साथ ही पेयजल टैंकर ढक्कन भी लगाया जाना चाहिए। लेकिन टैंकरों के ढक्कन नदारद रहते हैं। जिसके कारण भी पेयजल के गंदे होने का खतरा बना रहता है।

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4 हजार का जुआ पकड़ाया

दुर्ग, 11 अप्रैल। कुंदरापारा पाटनकर कालोनी गौरा चौक के पास बीती रात दबिश देकर कोतवाली पुलिस ने 3 हजार 973 रुपए का जुआं पकड़ा। इस दौरान पुलिस ने मोहन देवांगन, सोमेश्वर देवांगन, सोधू निषाद को गिरफ्तार किया। सभी आरोपी कुंदरापारा के निवासी हैं। आरोपियों के खिलाफ कोतवाली पुलिस ने 13 जुआं एक्ट के तहत कार्रवाई की है।

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मिड डे मिल संतोषजनक

दुर्ग, 11 अप्रैल। जिले में मध्यान्ह भोजन व्यवस्था ठीक चल रही है। कृषक सम्मेलन में रिसोर्स पर्सन को जोड़ा गया है। ये अपनी बातों से किसानों को अवगत करायेंगे। जिले के आठ विकासखंड में एक किसान रथ व चार विकासखंड में दो किसान रथ उपयोग में लाये जायेंगे।

जिले में अभियान के दौरान सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को 30 करोड़ 92 लाख बोनस राशि वितरण किया जायेगा। कलेक्टर ठाकुर रामसिंह ने प्रभारी सचिव को अधिकारियों की ओर से आस्वस्त किया कि जिले में अभियान के दौरान किसी तरह की शिकायतें नही आयेगी। बैठक में जिला पंचायत के सी.ई.ओ. एस. प्रकाश, वनमंडलाधिकारी शालिनी रैना, सहायक कलेक्टर नीरज कुमार, आयुक्त नगर निगम भिलाई राजेश टोप्पो, ए.डी. एम. जे. पी. पाठक, अपर कलेक्टर नितिन पंडित, सभी एस. डी. एम., सभी सी.ई.ओ. जनपद पंचायत सहित समस्त विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

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एक्वा पटेरल ब्रांड के पानी पाउच जप्त

दुर्ग, 11 अप्रैल। कलेक्टर ठाकुर रामसिंह ने एक्वा पटेरल ब्रांड के पानी पाउच के संबंध में मिली शिकायतों के आधार पर इसकी जांच हेतु निरीक्षक नापतौल को निर्देशित किया था। कलेक्टर के निर्देश के परिपालन में नापतौल निरीक्षक ने पानी पाउच निर्माण संस्थान में जांच उपरांत 80 पैकेट पानी पाउच को जप्त किया है।

नापतौल निरीक्षक एस.एल.शर्मा ने बताया कि गत 7 अप्रैल को उनके द्वारा मे. पारूल वेवरेजेस के मुर्रा, कुम्हारी, धमधा रोड स्थित संस्थान का निरीक्षण किया गया। इस दौरान पानी पाउच 250 मि.ली. एक्वा पटेरल ब्रांड पैकिंग ड्रिंकिंग वाटर में बैच नम्बर, पैकेज दिनांक अंकित नहीं किया जाना पाया गया। पानी पाउच पैकेट में अधिकतम खुदरा मूल्य 2 रूपये समस्त कर सहित बेस्ट बिफोर एक माह तक उपयोगी उल्लेखित है। शर्मा ने बताया कि संस्थान में पैकिंग पर बैच नम्बर व दिनांक अंकित नहीं किये जाने पर छ.ग. बाट एवं माप मानक (प्रवर्तन) अधिनियम 1985 के वैधानिक प्रावधानों तथा पैकेज वस्तु नियम 1977 के तहत प्रकरण पंजीबद्घ कर एक्वा पटेरल ब्रांड के 250 मि.ली. के पानी पाउच एक बोरी लगभग 80 पैकेट जप्त किया गया है।

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फाइलों में कैद ग्राम सुराज की समस्याएं

दुर्ग, 11 अप्रैल। छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं तो बनती प्रभावी है पर उसका क्रियान्वयन प्रभारी नही हो पाती शासन की मंशा को प्रशासन में बैठे भ्रष्टाचारी नकाबपोश घर का ना घाट का कहावत की तरह बना देते है। प्रतिवर्ष सरकार प्रदेश स्तर गांव- गांव में ग्राम सुराज अभियान का आयोजन कर आम जनता तक सीधे प्रत्यक्ष रुप से शासन प्रशासन से उनको रुबरु करा उनकी वर्षो पुरानी समस्या तकलीफो को मौखिक तथा आवेदनो के माध्यम से सुनती है दर्ज करती है और वे समस्याएं फाइलो में दफन हो धूल खाती कार्यालयो में पड़ी रहती है। ग्राम सुराज अभियान से सरकार को इस तथ्य के आंकडे ज्ञात हो चुके है कि गांवो में निवासरत जनता समस्याग्रस्त जीवन यापन करने बेबस और मजबूर है। जिनकी फरियाद सरकार के नुमांइदे सरकारी दफ्तरो में सुनकर अनसूना कर देते है। विगत वर्षो के ग्राम सुराज अभियानो की आंकडो पर नजर डाले तो आम जनता द्वारा दर्ज कराई गई।

समस्या आज भी इतिहास की कहानी बनकर फाइलो में सिमट कर धूल खाते पड़ी है। सरकार की मंशा और नियत साफ है पर उसके विचारो तथा मंशा को उसके नुमांइदे पूरी होने में बाधक बन रहे है। स्वंय सरकार के मंत्री मुख्यमंत्री ग्राम सुराज में अचानक गांवो में पहुंच रहे है। प्रशासन के समस्त विभाग तथा उसके अधिकारी में गांव- गांव में डेरा डाल लोगों की समस्या सुन रहे पर समस्याओं को कानो से सुनना और आवेदनो से दर्ज करना ग्राम सुराज की आवधारणा को पूरा नही करती प्रदेश के गांवो में निवासरत जनता के समक्ष अर्तगत समस्या है। जिसे सुनने वाले तो कई है पर उसका समाप्त करने वाला कोई नही सादगी सरलता सौभ्यता से जीवन यापन करने वाला ग्रामीण गरीब आस की जीवन जीने मजदूर दिखाई देता है। सरकार का यह अभियान सही मायने में अधूरा है। इसे जब पूरा किया या माना जावेगा। तब जनता की कि गई शिकायते फाइलो के कैद से मुक्त हो उन्हे पढ़कर उस पर ठोस कार्यवाही हो तभी ग्राम सुराज से इस प्रदेश में सुराज आयेगी।

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