बुधवार, 28 अप्रैल 2010

चिट्ठी आई है वतन से... चिट्ठी आई है

- नरेश सोनी -

पंकज उधास के इस गीत का उल्लेख मैंने क्यों किया है, यह आपको आगे पता चल जाएगा। इससे पहले आपको एक खबर सुनाता हूं। अपने शहर को छोड़कर दूसरे राज्यों या देश में जा बसे या फिर कमाने-खाने गए लोगों को अपने क्षेत्र की खबरें चाहिए। इसलिए वे लगातार इंटरनेट खंगाल रहे हैं और अपने प्रदेश और जिले और शहर में घट रही घटनाओं पर नजर रखे हुए हैं। भला ब्लाग से बेहतर उन्हें और कुछ कहां मिल पाएगा?
इस बात की जानकारी मुझे शायद नहीं हो पाती, यदि कमाने-खाने सऊदी अरब गए मेरे एक मित्र से मुझे यह पता नहीं चलता कि वहां छत्तीसगढ़ के सैकड़ों लोग काम कर रहे हैं और वे अपने इलाके की खबरें जानने-पढऩे के लिए हैं। रूपए कमाना किसे अच्छा नहीं लगता। पर अपनी मिट्टी से अलग होने का दर्द वे लोग ही जान सकते हैं, जो इस मिट्टी से अलग हो गए हैं। मुझे कुछ लोगों ने बार-बार एक सवाल किया कि आखिर मैं ब्लाग में समाचार क्यों दे रहा हूं? इसके कारण मैं यहां बताना चाहूंगा। पहला तो यह कि एक पत्रकार होने के नाते और शाम के अखबार से जुड़े होने की वजह से कई अखबारनवीस (नाम नहीं बताऊंगा।) मुझसे समाचार ई-मेल करने को कहते थे। (कई लोगों के लिए यह नई चीज हो सकती है) कई बार जब ऐसा संभव नहीं हो पाता तो भाईलोग नाराजगी भी जाहिर करते थे। इसलिए मैंने दुर्गन्यूज नाम का ब्लॉग शुरू कर दिया। जाहिर है कि ब्लॉग शुरू करने में कुछ खर्च तो होना नहीं था। अब मेरे साथी इस ब्लाग से सीधे समाचार निकाल लेते हैं। समय-बेसमय के उनके निवेदन या मैत्रीपूर्ण आदेश से मुझे छुटकारा मिल गया। दूसरा कारण में पहले ही बता चुका हूं।
तो मित्रो, बात दूसरे कारण से शुरू करता हूं। दो-ढाई महीने पहले छत्तीसगढ़ खबर और दुर्ग न्यूज के नाम से दो ब्लाग शुरू किए। लगता था कि छत्तीसगढ़ खबर, क्योंकि प्रदेश स्तर की खबरों के लिए है, और उसके लिए कुछ विशेष मेहनत करनी होती है, इसलिए उसे ज्यादा पाठक मिलेंगे। जबकि दुर्ग न्यूज लोकल होने की वजह से पाठकों के लिए तरसेगा। लेकिन दोनों ब्लागों का विश्लेषण करने के बाद यह लगता है कि लोगों को स्थानीय खबरें पहले चाहिए। मेरे इस स्थानीय ब्लाग को इन दो-ढाई महीनों में 450 पाठक मिले हैं। (संभव है कि जब तक आप यह लेख पढ़ें, पाठक संख्या और बढ़ जाए।) हाँ, इन पाठकों ने बहुधा टिप्पणियों से परहेज किया है। दुर्ग न्यूज के लिए 86.20 फीसदी पाठक भारत के हैं, जबकि 12.40 फीसदी अमेरिका के और 1.40 फीसदी कनाडा के हैं। अब राज्यवार बात करें तो मध्यप्रदेश से इस ब्लाग पर 65.60 फीसदी लोग पहुंचे। दूसरे स्थान पर अमेरिका का टेक्सस राज्य रहा है, जहां से 12.20 फीसदी, छत्तीसगढ़ से 8.20 फीसदी, गुजरात से 5.20, दिल्ली से 3.20, महाराष्ट्र से 2.40, ओंटेरियो (कनाडा) से 1.40, झारखंड से 0.60, यूपी से 0.20 और कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान और अमेरिका के कैलिफोर्निया से 0.20 फीसदी लोग इस ब्लाग तक पहुंचे।
अब शहरों की बात करें तो इंदौर से सर्वाधिक 47.60 फीसदी पाठक इस ब्लाग पर आए। भोपाल से 14.80, कनाडा के ओंटेरियो से 12.20, भिलाई से 3.20, अहमदाबाद से 3.00, वडोदरा से 2.00, जबलपुर और पुणे से 1.80, हैमिल्टन व इटारसी 1.40, जमशेदपुर व मुम्बई 0.60, रायपुर 0.40, बंगलोर, देहरादून, सूरत, नई दिल्ली, जयपुर, कानपुर, माउंटेनव्यू (कैलिफोर्निया) से 0.20 फीसदी लोग दुर्गन्यूज तक पहुंचे। कहने का सीधा-सीधा मतलब यह है कि छत्तीसगढ़ के लोगों की अपेक्षा अन्य राज्यों या विदेशों से यहां ज्यादा पाठक आए हैं।
एक बात और मालूम हुई कि मेरे इस ब्लाग से प्रदेश के बाहर के भी कई अखबारों का भी भला हो रहा है। यह अच्छी बात है। कम से कम समाचार पढऩे के अलावा छापने के भी काम आ रहे हैं। इसलिए मैंने अपने ब्लाग को अमिताभ बच्चन के करोड़पति की तर्ज पर लॉक नहीं किया है। मेरे दोनों ब्लॉग खुला दरबार है, यहां से जिसे जो सामग्री चाहिए, ले सकते हैं। (कम से कम किसी के काम तो आए।)

०००

41 टिप्‍पणियां:

  1. Naresh ji , aapki baat puri tarah se sahi hai .. main bhi un logo me hun jo aapke blog me aakar padhata hun lekin tippani nahi kar pata .. aapke 1.40 % Canada traffic flow me main bhi shamil hun ..
    aapke is prayash ke liye dhanyavaad .

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  2. आपका स्वागत है गजपाल जी।
    संभव हो तो अपने बारे में थोड़ी जानकारी दें।

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  3. आपका प्रयास सराहनीय है

    वतन से दूर जो नहीं हो पाएं हैं वो क्या जाने यह दर्द

    आपके जो साथी इस तरह ब्लॉग पर समाचार दिए जाने को पसंद नहीं करते उन पर केवल तरस ही किया जा सकता है। उन्हें उनके हाल पर छोड़ दें।

    मेरी शुभकामनाएँ आपके इस श्रमसाध्य कार्य के लिए।

    बी एस पाबला

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  4. नरेश जी आप बहुत उपयोगी कार्य कर रहे हैं। वैसे एक बात बतला दूं ताला तो सज्‍जनों के लिए लगाया जाता है। दुर्जन तो वैसे भी सभी प्रकार के ताले तोड़ लेते हैं। इसलिए समाज में तालों की जरूरत होते हुए भी तालों की जरूरत नहीं है।

    जहां तक खबरों की बात है, हम सब सबसे पहले परिवार की खबरें चाहते हैं, उसके बाद नगर की, प्रदेश की , क्षेत्र विशेष की और देश तथा विदेश की। आपके द्वारा दी गई जानकारी अच्‍छी है।
    इससे पता लगता है कि इंसान सदा वतन की मिट्टी से जुड़ा रहता है और जुड़ा रहना चाहता है।
    आपके प्रयास काबिले तारीफ हैं। मेरी राय है कि सभी को अपने मोहल्‍ले के समाचारों भी ब्‍लॉग पर लगाने चाहिए। इससे सूचना और उपयोगी सूचनाओं का तेजी से जनहित में प्रवाह हो सकेगा। मंगलकामनाओं सहित।

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  5. अच्छा प्रयास है . शुभकामनाएँ .
    मेरे विचार से आपके ब्लाग में बाहर से लोग ज्यादा आयें इसीमें इसका विकास है क्योंकि स्थानीय समाचार तो स्थानीय लोग समाचार पत्र से पढ़ लेते हैं .

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  6. am from bhilai an passed out school fro sec 10 and happy to read news in hindi from my home city

    keep writing
    best wishes
    tk care

    prasanjeet

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  7. यार नरेश,
    अच्छी समाज सेवा कर रहे हो...वैसे कुछ अखबारों की वेबसाइट हैं जैसे अमर उजाला, जागरण...इन पर लोकल न्यूज
    में हर शहर का अलग पेज होता है, जिस पर उस शहर की ज़्यादातर खबरे होती हैं...मुझे नहीं पता कि दुर्ग-भिलाई को भी कवर करने वाला ऐसा कोई अखबार है या नहीं...हो न हो, तुम अपना काम करते रहो, दूर रहने वाले स्थानीय बाशिंदों को इससे बड़ा फायदा होगा...

    यार तुम आंकड़ेबाज़ी में माहिर लग रहे हो चुनाव सर्वे वगैरहा में क्यों नहीं ट्राई करते...

    जय हिंद...

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  8. आपका ब्लाग अच्छा है। सबको अपनी मिट्टी की महक लेने का अधिकार है।
    कोई कुछ भी बोले, आप अपना काम करते रहें।

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  9. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है।

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  10. बहुत उत्तम प्रयास है. आपका साधुवाद इस विशेष सार्थक
    प्रयोजन के लिए.

    बधाई एवं शुभकामनाएँ.

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  11. लगे रहो भाई। आपके ब्लाग में टिप्पणियां बता रही है कि ठीक दिशा में जा रहे हैं।
    बार-बार टिप्पणी करना अच्छा नहीं लगता। पर आपको प्रोत्साहन देना भी तो इस दोस्त का काम है।

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  37. ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है।

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