दुर्ग, 01 मई। देश की स्वतंत्रता में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले डा. जगदीशचंद्र मिश्रा पचरीपारा निवासी अब नहीं रहे। उनका शुक्रवार हरनाबांधा स्थित मुक्तिधाम में गमगीन माहौल के बीच अंतिम संस्कार किया गया। स्वर्गीय मिश्रा के अंतिम संस्कार कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक शामिल हुए। लेकिन जिला प्रशासन की ओर से भेजे गए नायब तहसीलदार केके वर्मा अपने स्टाफ के साथ विलंब से पहुंचे। जिससे मुक्तिधाम में मौजूद स्वर्गीय मिश्रा के परिजनों व अन्य नागरिकों में आक्रोश देखा गया। जिला प्रशासन की ओर से प्रतिनिधि के विलंब से आने पर वैशाली नगर के विधायक भजनसिंह निरंकारी को विरोध भी जताना पड़ा। श्री निरंकारी का कहना था कि ऐसे समय में प्रशासनिक अधिकारियों को वक्त का ध्यान रखना चाहिए। वहीं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जमुनाप्रसाद कसार ने स्व. मिश्रा के सम्मान पर जिला प्रशासन द्वारा गाड आफ आनर नहीं दिए जाने को लेकर विरोध जताया।
०००
जिले में धड़ल्ले से चल रहे है बोरिंग खनन कार्य
दुर्ग, 01 मई। जिले में निरंतर घटते जलस्तर को ध्यान में रखकर जिलाधीश ने मार्च माह के अंतिम सप्ताह में बोरिंग उत्खनन पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए थे। उनके आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए नगरपालिक निगम दुर्ग एवं नगर पालिक निगम भिलाई के कई क्षेत्रों में बिना अनुमति के आज भी बोरिंग उत्खनन जारी है। इसे निगम अधिकारियों की लापरवाही कहें या जनता द्वारा चुने हुए पार्षदों की उदासीनता, अवैध बोरिंग उत्खनन से प्रतिदिन काफी तेजी से जलस्तर गिरता जा रहा है।
भिलाई निगम क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली नई कालोनियों में निर्माणाधीन भव्य एवं ऊंची ईमारतों के लिए बड़े पैमाने पर बोरिंग उत्खनन कराया जा रहा है। इसी प्रकार दुर्ग क्षेत्र में बोरसी एवं पुलगांव नाका के समीप निर्माणाधीन डुप्लेस ईमारतों के लिए बोरिंग खनन जारी है। गौरतलब है कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी ग्रीष्म ऋतु शुरू होने के पूर्व जिलाधीश ने अवैध या वैध दोनों ही प्रकार के बोरिंग उत्खनन पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किए थे उनके इन निर्देशों की अवहेलना करते हुए दुर्ग एवं भिलाई क्षेत्र में आज भी बड़े पैमाने पर बोरिंग खनन के कार्य किए जा रहे है।
बताया जाता है कि इस संबंध में निगम के अधिकारियों को सूचना देने के बाद भी वे आपसी तालमेल बनाकर मामले की जानकारी अपने उच्चअधिकारियों को नही देते है। इसके विपरीत दुर्ग-भिलाई निगम के अधिकारी संबंधित पक्ष को दिन में बोरिंग खनन न करके रात के अंधेरे में बोरिंग खनन की सलाह देते है। भिलाई क्षेत्र में निर्माणाधीन नई कालोनियां स्मृति नगर, कातुल बोर्ड, हाऊसिंग बोर्ड, कोहका, अयप्पा नगर एवं जुनवानी में बड़े पैमाने पर नए भवनों का निर्माण किया जा रहा है।
सड़क पर स्थित नवनिर्माण के आसपास बोरिंग उत्खनन करने से आसपास के क्षेत्र का जलस्तर तुरंत गिरना शुरू हो जाता है। बोरिंग खनन से पूर्व संबंधित पक्ष द्वारा इस बात की भी जानकारी नही ली जाती कि जिस स्थान पर खनन किया जा रहा है वहां या उसके आसपास बड़ी पाईप लाइन तो नही है। इतनी जानकारी न लेने के बावजूद भूखंड स्वामी द्वारा अपनी इच्छा अनुसार कहीं भी बोरिंग खनन किया जा रहा है। इसी प्रकार दुर्ग में बोरसी कालोनी के आगे एवं पुलगांव नाका के समीप बड़े पैमाने पर नए भवनों का निर्माण हो रहा है। इस क्षेत्र में भी बोरिंग खनन का कार्य तेजी से जारी है। सबसे आश्चर्य इस बात का है कि जिस क्षेत्र में बोरिंग खनन किया जा रहा है उस क्षेत्र के पार्षद को इस आशय की जानकारी होने के बाद भी वे निगम कमिश्नर या समकक्ष अधिकारी को इसकी जानकारी क्यों नही दे रहे है।
०००
बीएसपी की टंकियां से जनहानि की संभावना
भिलाई, 01 मई। भिलाई इस्पात संयंत्र के क्षेत्र की अधिकांश पानी टैकियां जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। पिछले कई महीनों से इनसे लगातार बड़े पैमाने पर पानी का रिसाव हो रहा है। डेढ़ से दो सौ मीटर ऊंचाई पर स्थापित इन टंकियों को देखने से ऐसा लगता है कि इनका निर्माण कभी भी ढह सकता है। नागरिकों की लगातार शिकायत करने के बाद भी संयंत्र प्रशासन का इस ओर कोई कार्रवाई न करना आश्चर्यजनक है। बताया जाता है कि सेक्टर-11 एवं कैम्प क्षेत्रों की कई पानी टंकियों के कभी भी ढह जाने की मौखिक सूचना आसपास के लोगों को देते हुए नीचे की जगह खाली करने की हिदायतें दी गई है।
उल्लेखनीय है कि एक लंबे अर्से से भिलाई इस्पात संयंत्र खुर्सीपार एवं कैम्प क्षेत्र के आवासों, मेंटनेंस कार्यालयों एवं पानी टंकियों के रख-रखाव पर संयंत्र प्रबंधन ध्यान नही दे रहा है। इन क्षेत्रों में इस्पात नगरी के वे लोग रहते है जिन्होंने भिलाई इस्पात संयंत्र के निर्माण कार्य के समय अपना खून पसीना एक करके बीएसपी को अपनी सेवाएं दी थी। वर्ष 1980 के बाद इस क्षेत्र से संयंत्र प्रबंधन ने पूरी तरह अपने आप को अलग कर लिया। पहले संयंत्र की ओर से इस क्षेत्र के आवासों की मरम्मत करने के लिए मेंटनेंस कार्यालय स्थापित किए गए थे जो आज उजड़ गए है। स्कूलों एवं अस्पतालों की स्थिति तो पुरातत्व विभाग के किन्हीं अवशेषों की तरह प्रतीत होती है। वर्तमान में सभी का ध्यान इन क्षेत्रों में बनी हुई पानी टंकियों की तरफ है। यह टंकियां डेढ़ से दो सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इनका निर्माण आज से चालीस वर्ष पूर्व हुआ था। इन चालीस वर्षों में न इन पानी टंकियों की साफ-सफाई की गई और न ही इनकी मरम्मत की तरफ ध्यान दिया गया जिसके कारण आज ये टंकियां कभी भी गिर सकती है की स्थिति में आ गईं है। स्थानीय नागरिकों ने नगर प्रशासन विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में कई बार लिखित जानकारी दी है इसके बावजूद भी आज तक कोई कार्रवाई नही हुई। सबसे ज्यादा खतरनाक स्थिति सेक्टर-11, जोन-1, सपना टाकिज के पीछे स्थित पानी टंकी की है। जिसके तीन भागों में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी है और सुबह से लेकर शाम तक पानी का रिसाव होते रहता है। यहां यह बताना भी गैर जरूरी नही है कि इस ठंकी के आसपास सघन आबादी का बसेरा है। किसी भी अनहोनी घटना के बाद इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जनहानि की संभावना है।
०००
प्रसन्नता होती है अपने इलाके के त्वरित समाचार देख-पढ़ कर
जवाब देंहटाएं