महापौर तमेर के 100 दिनों का निकम्मापन
- नरेश सोनी -
दुर्ग, 17 अप्रैल। एक फिल्म में सलमान खान का डॉयलॉग था कि जो जीजाजी बोलेंगे वो करूंगा...। ...और सलमान ऐसा करते भी रहे। ठीक यही स्थिति दुर्ग नगर निगम में भी है। यहां जीजाजी बने हैं कमिश्नर एसके सुंदरानी, ....और सलमान खान की भूमिका निभा रहे हैं - महापौर शिवकुमार तमेर।
महापौर तमेर के दुर्ग नगर निगम में 100 दिन पूरे होने पर एक ओर जहां वे अपनी उपलब्धियां बता रहे हैं तो दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस ने इन 100 दिनों की कमियों और कमजोरियों को उजागर किया है। कांग्रेस ने क्या कमियां तलाशीं, यह दीगर बात है और इसे राजनीतिक मसला कहा जा सकता है, लेकिन इन 100 दिनों में दुर्ग नगर निगम की जनता अपने महापौर से 100 घंटे की अपेक्षा भी नहीं कर पाई। अपने डॉक्टरी पेशे की वजह से महापौर तमेर शहर को ढंग से समय नहीं दे पा रहे हैं। नतीजतन नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी स्वेच्छादारी हो गए हैं। नगर निगम की पूरी कमान प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से फिलहाल कमिश्नर एसके सुंदरानी के ही हाथों में हैं। महापौर निर्वाचित होने के बाद पत्रकारों से हुई चर्चा में महापौर ने लम्बी-चौड़ी बातें की थी, लेकिन इन 100 दिनों के अपने कार्यकाल में वे अपनी ही बातों पर खरे नहीं उतर पाए हैं।
जिस नगर निगम में एक महिला महापौर की मर्जी के बिना रद्दी कागज भी टोकरी में नहीं फेंका जाता था, आज वहां स्वेच्छाचारिता और भ्रष्टाचार ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। अफसर और कर्मचारी बेलगाम हो गए हैं। जाहिर है कि जैसा लीडर होता है, उसके मातहत भी वैसे ही होते हैं। गौरतलब है कि सुश्री सरोज पाण्डेय के महापौर रहते हुए कमिश्नर को उनके कक्ष में चलकर आना होता था और इसके बाद ही वे अपनी बात कहते थे। कई दफा तो सुश्री पाण्डेय निगम के कामकाज के लिए कमिश्नर को अपने बंगले पर भी बुलवा लेतीं थीं। किन्तु वर्तमान महापौर को कमिश्नर से मिलने के लिए फोन करना पड़ता है। उसके बाद वे खुद कमिश्नर के कक्ष में जाते हैं। इस उल्टी गंगा की नगर निगम में जमकर चर्चा है। ऐसे ढीले-ढाले महापौर से शहरवासी क्या अपेक्षा कर सकते हैं? शहर की जनता ने सुश्री सरोज पाण्डेय के विकास कार्यों के आधार पर भाजपा को जितवाया, लेकिन अब इस भाजपाई महापौर को 100 दिनों तक झेलने के बाद जनता यह सोचने को मजबूर हो गई है कि बाकी के 265 दिनों में क्या हालात होंगे?
गर्मी ने अभी दस्तक दी ही है और पूरे शहर में पानी के लिए हाहाकार मच गया है। नालियां बजबजा रही हैं और सड़कों से गंदगी उठाने वाला कोई नहीं है। अतिक्रमण चारों तरफ पसरा हुआ है और नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी आपसी लेन-देन कर मामला निपटा रहे हैं। जिस दुर्ग नगर निगम के लिए पूर्व महापौर सरोज पाण्डेय शासन से करोड़ों रूपए चलते-फिरते स्वीकृत करा लातीं थीं, आज वहां के कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ गए हैं। नतीजतन नए विकास कार्यों की अपेक्षा करना तो बेमानी साबित हो ही रहा है, पर पुराने विकास कार्यों को जारी रखना भी नगर निगम के लिए भारी पड़ रहा है। समझा जा सकता है कि शहर के विकास के क्या हालात होंगे? और नगर निगम की माली हालत क्या होगी? दरअसल, महापौर शिवकुमार तमेर दुर्ग नगर निगम के सबसे असहाय और निकम्मे महापौर साबित हो रहे हैं, जिनके पास नगर निगम की पूरी बागडोर है पर वे कुछ कर नहीं पा रहे हैं। हर साल बाढ़ की त्रासदी लेकर आने वाला शंकर नाला महापौर के 100 दिनों के कार्यकाल में नौ दिन चले ढाई कोस वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है। इस नाले का निर्माण कार्य इंचभर भी आगे नहीं बढ़ पाया है, जबकि दो महीनों के बाद बरसात का मौसम शुरू होने जा रहा है। मौसम विभाग ने इस साल अच्छी बारिश की संभावना जताई है। ऐसे में यदि बाढ़ आती है तो महापौर की कार्यप्रणाली और उनकी सोच-समझ पर उंगलियां उठना लाजिमी है। एक ओर जहां महापौर तमेर नगर निगम में अक्षम साबित हो रहे हैं, वहीं राजनीति में भी वे टेनिस की गेंद बनकर रह गए हैं जो दो धुरंधर भाजपाइयों के बीच इधर से उधर होती रहती है।
ये है जनसम्पर्क विभाग
...न बातचीत का सलीका...,
...न व्यवहारिकता...,
...न मीडिया को मैनेज करने की क्षमता।
- ये है नगर निगम के जनसम्पर्क अधिकारी। पूरे छत्तीसगढ़ में संभवत: दुर्ग नगर निगम ऐसा इकलौता निगम है, जहां जनसम्पर्क विभाग की कमान एक तृतीय वर्ग का कर्मचारी संभाल रहा है। इतना महत्वपूर्ण विभाग होने के बावजूद नगर निगम प्रशासन ने कभी इस विभाग की ओर ध्यान नहीं दिया। इस विभाग के तथाकथित पीआर (जनसम्पर्क अधिकारी) के हाल यह हैं कि उन्हें अदद व्याकरण तक की जानकारी नहीं है। इतना ही नहीं, हिंदी भाषा पर भी पकड़ नहीं रखने की वजह से नगर निगम की खबरों को मीडिया में प्रमुखता नहीं मिल पाती। जो व्यक्ति सामान्य समाचार को भी ढंग से नहीं लिख पाता, ऐसा व्यक्ति अब भी जनसम्पर्क अधिकारी बना बैठा है। नतीजतन नगर निगम बेहद ढीले-ढाले और लचर तरीके से अपने कार्यों को लोगों तक पहुंचा रहा है। पूर्व महापौर सरोज पाण्डेय ने अपने कार्यकाल के दौरान इसे शिद्दत से महसूस किया। इसी के चलते उन्होंने अच्छा लिखने-पढऩे और बेहतर सोच-समझ वालों को इस विभाग में रखा? लेकिन वे स्थायी रूप से काम नहीं कर पाए। नतीजतन एक तृतीय श्रेणी के और उस वक्त दैनिक वेतनभोगी के रूप में अखबारों के दफ्तरों में विज्ञप्तियां लेकर पहुंचने वाले कर्मचारी को पीआर बना दिया गया। यही हालात अब भी जारी है।
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पेचीदा हुआ अपहरण का मामला
भिलाई, 17 अप्रैल। नेहरु रोड नेहरु भवन के पास स्थित कांत मोबाइल एवं स्टेशनरी मार्ट के लापता संचालक ज्योतिकांत अग्रवाल 38 वर्ष का 36घंटे गुजर जाने के बाद भी पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल पाया हैं। हालांकि पुलिस व्यवसायी की तलाश में सिद्दत से हाथ-पांव मार रही हैं। पुलिस की छानबीन में व्यवसायी के परिजन भी कोई खास मदद नहीं कर पा रहे हैं। जिससे यह अपहरण का मामला काफी पेचिदा हो गया हैं। तलाश में जुटी पुलिस को मामले में आर्थिक लेनदेन का संदेह हैं। लेकिन पुलिस इस पर स्पष्ट रुप से कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं हैं। मामले में लापता व्यवसायी की बजाज डिस्कव्हर मोटर सायकल जिस लावारिश स्थिति में पुलिस ने बरामद की,उससे मामले की गंभीरता स्पष्ट नजर आ रही हैं। लापता व्यवसायी ज्योतिकांत अग्रवाल को ढूंढने पुलिस द्वारा उसके करीबियों से पूछताछ की जा रही हंै। हाल ही में व्यवसायी का किसी से आर्थिक लेन-देन को विवाद के मामले में पुलिस परिजनों से जानकारी जुटा रही हैं। जांच में पुलिस को पता चला हैं कि दो महीना पहले व्यवसायी ज्योतिकांत के नौकर विनयकांत ने वेतन नहीं बढ़ाए जाने से नौकरी छोड़ दी थी। उसके बाद विनयकांत के साथियों ने ज्योतिकांत को मोबाइल पर धमकी दी थी। विनयकांत के तलाश में पुलिस उसके घर पहुंची थी। लेकिन किसी निधन कार्यक्रम में शहर से बाहर जाने के कारण विनयकांत से संपर्क नहीं हो पाया। साथ ही लापता व्यवसायी ज्योतिकांत अग्रवाल के दो मोबाइल फोन का पुलिस काल डिटेल निकलवा रही हैं। ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह आखरी काल किस व्यक्ति का आया था। जिसकी वजह से ज्योतिकांत को आधा भोजन छोड़कर घर से निकलना पड़ा था। ज्योतिकांत अग्रवाल के अपहरण को लेकर कई चर्चाएं गर्म हैं। लेकिन सर्वाधिक चर्चा उसके आर्थिक लेन-देन पर जाकर टिकी हुई हैं।
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक व्यवसायी ज्योतिकांत अग्रवाल 38 वर्ष पिता सीताराम अग्रवाल नेहरु रोड नेहरु भवन के पास स्थित दो मंजिला आवास में सपरिवार रहते हैं। नीचे उनकी कांत मोबाइल एवं स्टेशनरी मार्ट के नाम से दुकान हैं। बताया गया हैंं 15 अप्रैल की रात ज्योतिकांत अग्रवाल दुकान बंद कर अपने प्रथम तल के आवास में भोजन कर रहे थे। तभी रात करीब 11 बजे उनके मोबाइल फोन पर फोन आया, किसी व्यक्ति से बातचीत करने के बाद वे आधा भोजन छोड़कर 10 मिनट में आने की बात कहकर अपने बजाज डिस्कव्हर मोटर सायकल क्र. सीजी 07 एलडी 7191 से निकल गए। लेकिन उसके बाद से ज्योतिकांत अग्रवाल का कुछ पता नहीं हैं। 16 अप्रैल की सुबह पुलिस को मोर्या टाकीज के पास साक्षरता चौक में ज्योतिकांत अग्रवाल की डिस्कव्हर मोटर सायकल लावारिश हालत में खड़ी मिली। बताया गया हैं मोटर सायकल में ताला लगा हुआ था। जबकि उसकी चाबी नीचे पड़ी थी और पेट्रोल टंकी का पाईप कटा हुआ था। व्यवसायी की मोटरसायकल लावारिश स्थिति में मिलने से मामला काफी गंभीर हो गया हैं। मामले में पुलिस को व्यवसायी के अपहरण की आशंका हैं।
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15 को मौत हुई, 17 तक का बिल थमाया
भिलाई, 17 अप्रैल। नेहरु नगर चौक स्थित चंदूलाल चंद्राकर हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मोतीपारा दुर्ग निवासी जयगुल निशा 55 वर्ष पति नैमुद्दीन की मौत के मामले में आज दोपहर परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर जमकर आक्रोश निकाला। परिजनों ने जयगुलनिशा के मौत के लिए अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया। परिजनों का कहना था कि सही इलाज के अभाव में जयगुल निशा ने दम तोड़ा हैं। मिली जानकारी के मुताबिक जयगुल निशा को 14 अप्रैल की शाम सांस में तकलीफ के कारण चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। हालत में सुधार नहीं आने पर उसे चिकित्सक ने 7 बजे आईसीयू में दाखिल करवाया। 15अप्रैल की सुबह जयगुल निशा ने दम तोड़ दी। दुर्ग स्थित गुडडू जिंस कार्नर के संचालक सेमुद्दीन मृतका जयगुल निशा के पुत्र हैं। पुत्र सेमुद्दीन का आरोप था कि मां का 15 अप्रैल को निधन हो गया था। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने 17 अप्रैल तक का बिल बनाया था। इसके अलावा इलाज में भी कोताही बरती गई।
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जलवायु परिवर्तन पर नागरिक सम्मेलन 22 को
दुर्ग, 17 अप्रैल। जल संरक्षण पर्यावरण सुरक्षा एवं जलवायु परिवर्तन पर नागरिक सम्मेलन का शुभारंभ 22 अप्रैल को सी. सुदर्शन एवं केबीनेट मंत्री हेमचंद यादव करेंगे।
जल महोत्सव के तहत जल संवद्र्धन, संरक्षण स्वच्छ एवं सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता एवं पर्यावरण सुरक्षा पर आधारित अखिल भारतीय अभियान चलाया जा रहा है। राष्ट्रीय समरसता एवं शैक्षणिक विचार मंच, जनजागरण परिषद, उत्थान इलाहाबाद एवं स्वाईल कन्जर्वेशर सोसोयटी चेप्टर द्वारा 22 अप्रैल को मानस भवन में नागरिक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। सम्मेलन का शुभारंभ सी. सुदर्शन के मुख्य आतिथ्य एवं केबीनेट मंत्री हेमचंद की अध्यक्षता में होगा। इस अवसर पर आरएसएस के प्रांत संघचालक बिसराराम यादव विशिष्ट अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे। आयोजन के संबंध में राष्ट्रीय समरसता एवं शैक्षणिक विचार मंच के अध्यक्ष राजकिशोर मिश्र ने बताया कि कार्यक्रम को लेकर गत दिनों एक अहम बैठक हुई। जिसमें पूरे आयोजना का खाका खिंचा गया। जल महोत्सव आयेाजन परिषद के महासचिव ठाकुर किशोर सिंह ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों एव पर्यावरण संरक्षण समय की आवश्यकता है।
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