दुर्ग, 29 अप्रैल। दुर्ग जिले के जिलाधीश ठाकुर रामसिंह क्या राजधानी रायपुर के नए जिलाधीश होंगे? पिछले एक माह से यह चर्चा दुर्ग से लेकर रायपुर तक की प्रशासनिक फिजा में तैर रही है। ठाकुर रामसिंह साफ-सुथरी छबि एवं व्यवहारिक पृष्ठभूमि के लिए शुरू से ही जाने जाते हैं।
इस जिले में बतौर आयुक्त नगर निगम भिलाई, अतिरिक्त जिलाधीश दुर्ग एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई तथा इन पदों पर कार्य करते हुए उनकी कार्यशैली से प्रभावित होकर जनता ने भी उन पर विश्वास किया। इन पदों पर कार्य करते हुए वे एक दबंग अफसर के रूप में अपना कर्तव्यपालन करने वाले अधिकारी के रूप में अपनी छबि बनाने में कामयाब रहे। इन पदों पर कार्य करते हुए उन्होंने गरीबों का दुख-दर्द सुना और लगभग व्यवहारिक कोशिश की कि लोगों की जायज एवं सही मांगें पूरी की जा सकें तथा व्यवहारिक प्रशासनिक क्रियान्वयन से जनता का भी प्रशासन पर विश्वास कायम हो। अपनी इस छवि के कारण ही वे आईएएस बनने के बाद रायगढ़ एवं दुर्ग जैसे महत्वपूर्ण जिलों के जिलाधीश बनने में कामयाब रहे। रायगढ़ जिले में जिलाधीश की अपनी पहली पोस्टिंग शुरू करने वाले ठाकुर रामसिंह लगभग 2 वर्ष तक वहां के जिलाधीश रहे और उनका कार्यकाल सफल ही रहा। इसी परफार्मेंस के आधार पर वे दुर्ग के जिलाधीश नियुक्त किए गए। कार्यकाल की दृष्टि से उन्हें सफल जिलाधीश ही कहा जा सकता है। चूंकि दुर्ग उनका पूर्व से कार्यक्षेत्र रहा, फलस्वरूप उन्हें कार्य करने में कोई विशेष कठिनाई नहीं हुई, पर जिलाधीश की भूमिका में उन्हें व्यवहारिक राजनीतिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। समन्वय कायम करने में उनकी प्रशासनिक गतिशीलता प्रभावित हुई है और परिणाम भी प्रभावित हुए हैं।
जनता का विश्वास अब भी उन पर बना हुआ है। लोग मानते हैं कि उनके रहते ज्यादती और अन्याय नहीं होगा। लोग मानते हैं कि उनके रहते सुखद प्रशासनिक परिणाम भले ही न निकल सके पर दुष्परिणाम भी नहीं आएंगे। साफ-सुथरे और खरे लोगों को वे भली-भांति समझते हैं, सीधी बात करते हैं, जमीनी कार्यवाही पर विश्वास करते हैं। अपनी व्यक्तिगत साफ छवि के कारण ही उन्हें रायपुर का जिलाधीश बनाए जाने की प्रशासनिक चर्चा सत्ता के गलियारों में है। दूसरी तरफ दुर्ग जिले में ही पदस्थ एक अन्य आईएएस अफसर अब दुर्ग जिले के लिए अपने आपको पर्याप्त अनुभवी मानने लगे हैं और दुर्ग जिले के योग्य भी पने आपको मानने लगे हैं तथा लाईन में भी लग गए हैं। देखना है उनकी किस्मत उनका कितना साथ देती है। दुर्ग जिले में ही पदस्थ रहे कोटे के दो अफसर भी आईएएस हो चुके हैं तथा जिलाधीश बनने के लिए पूरी कसरत कर रहे हैं। फिलहाल तो दोनों मंत्रालय में ही संट हैं।
इस जिले में बतौर आयुक्त नगर निगम भिलाई, अतिरिक्त जिलाधीश दुर्ग एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई तथा इन पदों पर कार्य करते हुए उनकी कार्यशैली से प्रभावित होकर जनता ने भी उन पर विश्वास किया। इन पदों पर कार्य करते हुए वे एक दबंग अफसर के रूप में अपना कर्तव्यपालन करने वाले अधिकारी के रूप में अपनी छबि बनाने में कामयाब रहे। इन पदों पर कार्य करते हुए उन्होंने गरीबों का दुख-दर्द सुना और लगभग व्यवहारिक कोशिश की कि लोगों की जायज एवं सही मांगें पूरी की जा सकें तथा व्यवहारिक प्रशासनिक क्रियान्वयन से जनता का भी प्रशासन पर विश्वास कायम हो। अपनी इस छवि के कारण ही वे आईएएस बनने के बाद रायगढ़ एवं दुर्ग जैसे महत्वपूर्ण जिलों के जिलाधीश बनने में कामयाब रहे। रायगढ़ जिले में जिलाधीश की अपनी पहली पोस्टिंग शुरू करने वाले ठाकुर रामसिंह लगभग 2 वर्ष तक वहां के जिलाधीश रहे और उनका कार्यकाल सफल ही रहा। इसी परफार्मेंस के आधार पर वे दुर्ग के जिलाधीश नियुक्त किए गए। कार्यकाल की दृष्टि से उन्हें सफल जिलाधीश ही कहा जा सकता है। चूंकि दुर्ग उनका पूर्व से कार्यक्षेत्र रहा, फलस्वरूप उन्हें कार्य करने में कोई विशेष कठिनाई नहीं हुई, पर जिलाधीश की भूमिका में उन्हें व्यवहारिक राजनीतिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। समन्वय कायम करने में उनकी प्रशासनिक गतिशीलता प्रभावित हुई है और परिणाम भी प्रभावित हुए हैं।
जनता का विश्वास अब भी उन पर बना हुआ है। लोग मानते हैं कि उनके रहते ज्यादती और अन्याय नहीं होगा। लोग मानते हैं कि उनके रहते सुखद प्रशासनिक परिणाम भले ही न निकल सके पर दुष्परिणाम भी नहीं आएंगे। साफ-सुथरे और खरे लोगों को वे भली-भांति समझते हैं, सीधी बात करते हैं, जमीनी कार्यवाही पर विश्वास करते हैं। अपनी व्यक्तिगत साफ छवि के कारण ही उन्हें रायपुर का जिलाधीश बनाए जाने की प्रशासनिक चर्चा सत्ता के गलियारों में है। दूसरी तरफ दुर्ग जिले में ही पदस्थ एक अन्य आईएएस अफसर अब दुर्ग जिले के लिए अपने आपको पर्याप्त अनुभवी मानने लगे हैं और दुर्ग जिले के योग्य भी पने आपको मानने लगे हैं तथा लाईन में भी लग गए हैं। देखना है उनकी किस्मत उनका कितना साथ देती है। दुर्ग जिले में ही पदस्थ रहे कोटे के दो अफसर भी आईएएस हो चुके हैं तथा जिलाधीश बनने के लिए पूरी कसरत कर रहे हैं। फिलहाल तो दोनों मंत्रालय में ही संट हैं।
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प्रधान आरक्षक रिश्वत लेते पकड़ाया
दुर्ग, 29 अप्रैल। पुराना बस स्टैंड के सामने स्थित विशेष पुलिस थाना दुर्ग में प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ भगवानी राम देशमुख को आज दोपहर एंटी करप्शन ब्यूरों की टीम ने 3 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों धरदबोचा। प्रधान आरक्षक द्वारा विवाद और मारपीट के एक मामले को रफा-दफा करने पीडित से 3 हजार की रिश्वत ली थी। लेकिन प्रधान आरक्षक एंटी करप्शन ब्यूरों की घेराबंदी से बच न सका और जेल तिराहा चौक स्थित विवेकानंद सभागृह के पास रिश्वत लेते पकड़ा गया। प्रधान आरक्षक के पास से 5-5 सौ के रिश्वत के 6 नोट जप्त किए गए हैं। एंटी करप्शन ब्यूरों की टीम ने पीडि़त संतराम साहू ग्राम हडग़हन थाना अर्जुन्दा निवासी की शिकायत पर आरोपी रिश्वतखोर प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख के विरुद्ध धारा 7,13,(1)(डी)13,2 भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत कार्यवाही की हैं।
एंटी करप्शन ब्यूरों से मिली जानकारी के मुताबिक पीडित संतराम साहू ग्राम हडग़हन थाना अर्जुन्दा का निवासी हैं। 3 अप्रैल 2010 को संतराम साहू का गांव के ही मयाराम व उसके साथियों से विवाद व मारपीट हो गया था। घटना की विशेष पुलिस थाना दुर्ग में जांच चल रही थी। घटना के जांच का जिम्मा प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख को सौंपा गया था। जांच अधिकारी भगवानी राम देशमुख पीडित संतराम साहू को जबरदस्ती परेशान कर रहा था। साथ ही भगवानी राम देशमुख द्वारा पीडित संतराम साहू को कहा जाता था 3 हजार रुपए दोगे तो मामले को रफा-दफा कर दूंगा। तुम्हारा नाम मामले से अलग हो जाएगा। प्रधान आरक्षक द्वारा रिश्वत की मांग से संतराम साहू क्षुब्ध था। लिहाजा पीडित ने एंटी करप्शन ब्यूरों रायपुर की शरण ली। संतराम साहू ने प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख की लिखित में एंटीकरप्शन ब्यूरों में शिकायत की।
शिकायत को ब्यूरों ने गंभीरता से लिया और रिश्वत मांगने वाले प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख को बेनकाब करने के लिए योजना बनाई गई। योजना के तहत पीडित संतराम साहू ने आज दोपहर प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख को मोबाइल पर फोन किया और कहा कि मारपीट व विवाद के मामले को समाप्त करवाना हैं। मै 3 हजार रुपए भी रखा हुआ हूं। मोबाइल फोन पर यह चर्चा होने के बाद प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख ने पीडित संतराम साहू को जेलतिराहा चौक स्थित विवेकानंद सभागृह के पास बुलवाया।
योजना अनुसार एंटी करप्शन ब्यूरों की टीम भी संतराम साहू के पीछे-पीछे गई। संतराम साहू जब प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख को रिश्वत की रकम 3 हजार दे रहा था। तब एंटी करप्शन ब्यूरों की टीम ने मौके पर दबिश देकर प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख को धरदबोचा। इस दौरान प्रधान आरक्षक के कब्जे से 5-5 सौ के 6 नोट (3 हजार रुपए) जब्त किए गए। एंटी करप्शन ब्यूरों ने जब प्रधान आरक्षक का केमिकल से हाथ धुलवाया तो उसके हाथ लाल रंग से रंग गए। जिससे प्रधान आरक्षक के रुपए लेने की पुष्टि हुई हैं। यह कार्यवाही एंटी करप्शन ब्यूरों रायपुर के एडीशनल एसपी मनोज खिलाड़ी के नेतृत्व में की गई। जिसमें डीएसपी बी.एस. पैकरा, टीआई बी.एस. राठौर, प्रधान आरक्षक नत्थे सिंग,आरक्षक पवन पाठक की भूमिका सराहनीय रही।
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एंटी करप्शन ब्यूरों से मिली जानकारी के मुताबिक पीडित संतराम साहू ग्राम हडग़हन थाना अर्जुन्दा का निवासी हैं। 3 अप्रैल 2010 को संतराम साहू का गांव के ही मयाराम व उसके साथियों से विवाद व मारपीट हो गया था। घटना की विशेष पुलिस थाना दुर्ग में जांच चल रही थी। घटना के जांच का जिम्मा प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख को सौंपा गया था। जांच अधिकारी भगवानी राम देशमुख पीडित संतराम साहू को जबरदस्ती परेशान कर रहा था। साथ ही भगवानी राम देशमुख द्वारा पीडित संतराम साहू को कहा जाता था 3 हजार रुपए दोगे तो मामले को रफा-दफा कर दूंगा। तुम्हारा नाम मामले से अलग हो जाएगा। प्रधान आरक्षक द्वारा रिश्वत की मांग से संतराम साहू क्षुब्ध था। लिहाजा पीडित ने एंटी करप्शन ब्यूरों रायपुर की शरण ली। संतराम साहू ने प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख की लिखित में एंटीकरप्शन ब्यूरों में शिकायत की।
शिकायत को ब्यूरों ने गंभीरता से लिया और रिश्वत मांगने वाले प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख को बेनकाब करने के लिए योजना बनाई गई। योजना के तहत पीडित संतराम साहू ने आज दोपहर प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख को मोबाइल पर फोन किया और कहा कि मारपीट व विवाद के मामले को समाप्त करवाना हैं। मै 3 हजार रुपए भी रखा हुआ हूं। मोबाइल फोन पर यह चर्चा होने के बाद प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख ने पीडित संतराम साहू को जेलतिराहा चौक स्थित विवेकानंद सभागृह के पास बुलवाया।
योजना अनुसार एंटी करप्शन ब्यूरों की टीम भी संतराम साहू के पीछे-पीछे गई। संतराम साहू जब प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख को रिश्वत की रकम 3 हजार दे रहा था। तब एंटी करप्शन ब्यूरों की टीम ने मौके पर दबिश देकर प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख को धरदबोचा। इस दौरान प्रधान आरक्षक के कब्जे से 5-5 सौ के 6 नोट (3 हजार रुपए) जब्त किए गए। एंटी करप्शन ब्यूरों ने जब प्रधान आरक्षक का केमिकल से हाथ धुलवाया तो उसके हाथ लाल रंग से रंग गए। जिससे प्रधान आरक्षक के रुपए लेने की पुष्टि हुई हैं। यह कार्यवाही एंटी करप्शन ब्यूरों रायपुर के एडीशनल एसपी मनोज खिलाड़ी के नेतृत्व में की गई। जिसमें डीएसपी बी.एस. पैकरा, टीआई बी.एस. राठौर, प्रधान आरक्षक नत्थे सिंग,आरक्षक पवन पाठक की भूमिका सराहनीय रही।
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