दुर्ग, 24 अप्रैल। गत दिनों दल्लीराजहरा मुख्य मार्ग पर स्थित संजीवनी अस्पताल में दो अज्ञात युवकों द्वारा गोली चलाए जाने की घटना से कई प्रश्र खड़े हो गए हैं। चर्चा इस बात की है कि ऐसा कौन सा कारण आन पड़ा कि युवकों द्वारा डाक्टर के चेम्बर में गोली चलानी पड़ी। राजहरा पुलिस भी इसी गुत्थी को सुलझाने में लगी है पर वस्तुस्थिति तभी स्पष्ट हो पाएगी जब वे हमलावर पुलिस की पकड़ में आएंगे। माना यह जा रहा है कि यहां इलाज में लापरवाही बरती जाती है। बहरहाल यह स्थिति सिर्फ संजीवनी अस्पताल की ही नहीं है कमोबेरा अन्य कुछ निजी अस्पतालों में भी कुछ इसी प्रकार की स्थिति है राजहर नगर में विशेषज्ञ डाक्टरों युक्त पूर्ण सुविधा युक्त अस्पताल नहीं होने के कारण मरीजों को इन अस्पतालों में इलाज करवाना पड़ रहा है।
नगर के अनेक लोगों से बातचीत करने पर उन्होंने कहा कि यहां के डाक्टर इलाज के नाम पर मरीजों को लूट रहे हैं अस्पताल खोल कर मरीजों को भरती करने का काम ज्यादा कर रहे हैं। सोचनीय बात यह है कि एक या दो डाक्टर के भरोसे दिन रात अस्पताल का संचालन कैसे किया जा रहा। यहां के अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टर तथा महिला डाक्टर की कमी है। जानकार सूत्र का कहना है कि इस प्रकार के अस्पताल या नर्सिंग होम चलाने के लिए बकायदा स्वास्थ्य विभाग से अनुमति लेनी होती है पर यहां किस नियम कायदे के तहत अस्पताल संचालित हो रहे हैं यदि इसकी जांच हो तो सही स्थिति का पता चल पाएगा।
प्राय: देखा यह जा रहा है कि अस्पताल संचालकों द्वारा मरीजों के इलाज की ओर कम तथा धनउपार्जन पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है इसलिए कुछ ही वर्षों मेें डाक्टर लाखों की चल व अचल संपत्ति के मालिक बनते जा रहे हैं। लोगों का मानना है कि इस प्रकार अर्जित सम्पत्ति की जांच के दायरे में लाना चाहिए। शिकायत तो यह भी मिली है कि इस प्रकार के अस्पतालों में कम गुणवत्ता वाली दवाईयों को मरीजों के बीच अधिक खपाया जाता है तथा उनसे इसकी मनमानी कीमत वसूली की जाती है। मरीज जानते समझते हुए भी संकोचवश डाक्टर से जवाब सवाल नहीं कर पाता इस मजबूरी का फायदा यहां के अस्पताल संचालक उठा रहे हैं।
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