शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

व्यवसायी का अपहरण

भिलाई, 16 अप्रैल। सुपेला थानांतर्गत नेहरु रोड नेहरु भवन के पास स्थित कांत मोबाइल एवं स्टेशनरी मार्ट के संचालक ज्योति कांत अग्रवाल 38 वर्ष बीती रात से अचानक लापता हैं। आज सुबह उनकी बजाज डिस्कव्हर मोटर सायकल मोर्या टाकीज के पास साक्षरता चौक से लावारिश हालत में पुलिस ने बरामद की हैं। 15 घंटे से अधिक समय गुजरने के बाद भी ज्योतिकांत अग्रवाल का परिजनों को कुछ पता नहीं चल पाया हैं। आखिर ज्योतिकांत गए तो गए कहां ? जिससे यह मामला काफी पेचिदा हो गया हैं। परिजनों ने आज सुबह सुपेला थाना पहुंचकर घटना की शिकायत की।
शिकायत पर सुपेला पुलिस ने ज्योतिकांत अग्रवाल की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर मामले को जांच में लिया हैं। लेकिन इस मामले को अपहरण का माना जा रहा हैं। सूत्रों के मुताबिक अपहरण की वजह रुपए-पैसे का लेनदेन हो सकता हैं। बहरहाल अभी पुलिस मामले में कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं। घटना की खबर पर पुलिस अधीक्षक दीपांशु काबरा, एएसपी शहरी एम.एल. कोटवानी, दुर्ग सीएसपी राकेश भट्ट एवं पुलिस के अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे। पुलिस अधिकारियों ने लापता ज्योतिकांत अग्रवाल के परिजनों को ढांढस बांधा और कहा कि जल्द ही ज्योतिकांत अग्रवाल को ढूंढ लिया जायेगा।
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक व्यवसायी ज्योतिकांत अग्रवाल 38 वर्ष पिता सीताराम अग्रवाल नेहरु रोड नेहरु भवन के पास स्थित दो मंजिला आवास में सपरिवार रहते हैं। नीचे उनकी कांत मोबाइल एवं स्टेशनरी मार्ट के नाम से दुकान हैं। बताया गया हैंं बीती रात ज्योतिकांत अग्रवाल दुकान बंद कर अपने प्रथम तल के आवास में भोजन कर रहे थे। रात करीब 11 बजे उनके मोबाइल फोन पर फोन आया, किसी व्यक्ति से बातचीत करने के बाद वे आधा भोजन छोड़कर 10 मिनट में आने की बात कहकर अपने बजाज डिस्कव्हर मोटर सायकल क्र. सीजी 07 एलडी 7191 से निकल गए। लेकिन उसके बाद से ज्योतिकांत अग्रवाल का कुछ पता नहीं हैं। बताया गया हैं ज्योतिकांत अपने पास दो मोबाइल रखते थे। एक मोबाइल स्वीच ऑफ और दूसरा कव्हेरज एरिया से बाहर बता रहा हैं। रात में ही परिजनों ने ज्योतिकांत अग्रवाल की अपने स्तर पर पतासाजी की। लेकिन उन्हे भी ज्योतिकांत के संबंध में कुछ पता नहीं चल पाया। आज सुबह परिजन सुपेला थाना पहुंचकर ज्योतिकांत की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। इधर आज सुबह पुलिस को खबर लगी की मोर्या टाकीज के पास साक्षरता चौक में एक डिस्कव्हर मोटर सायकल लावारिश हालत में खड़ी मिली हैं। परिजनों ने मौके पर पहुंचकर मोटर सायकल को ज्योतिकांत अग्रवाल की होना पाया।
बताया गया हैं मोटर सायकल में ताला लगा हुआ था। जबकि उसकी चाबी नीचे पड़ी थी और पेट्रोल टंकी का पाईप कटा हुआ था। मोटर सायकल के लावारिश हालत में मिलने से पुलिस सकते में आ गई। परिजन भी सन्न रह गए। 15 घंटा से अधिक समय गुजरने के बाद भी ज्योतिकांत अग्रवाल का कुछ पता नहीं चलने से घटना को अपहरण का माना जा रहा हैं। लापता ज्योतिकांत अग्रवाल मूलत: न्यू खुर्सीपार का रहने वाला हैं। उनकी पत्नी मिनाक्षी 37 वर्ष, पुत्र अनिकेता 11 वर्ष, पुत्र शोभित 7 वर्ष घटना के बाद से घबराए हुए हैं।

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मसीही समाज ने दिया धरना

दुर्ग, 16 अप्रैल। मसीही समाज के लोगों पर बढ़ रहे कथित अत्याचार एवं चर्चो में हो रहे तोडफ़ोड़ के विरोध में आज छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम के बैनर तले समाज के लोगों ने पटेल चौक में धरना दिया। धरना के दौरान मसीही समाज के लोगों में बीते दिवस भिलाई सेक्टर-2 सड़क 16 में हुए समाज के लोगों के साथ मारपीट की घटना को लेकर साफ आक्रोश नजर आ रहा था। इस दौरान समाज के वरिष्ठ लोगों ने सभा को संबोधित किया। समाज के लोगों का कहना था कि भारत एक स्वतंत्र देश हैं। स्वतंत्र देश में सभी को अपने धर्म का प्रचार करने का अधिकार हैं। लेकिन कुछ लोगों द्वारा धर्मांतरण का आरोप लगाकर मसीही समाज को कुचलने का प्रयास किया जा रहा हैं। जो हर दृष्टि से गलत हैं। इस दौरान समाज के लोगों ने असामाजिक तत्वों को राज्य सरकार का संरक्षण होने का भी आरोप लगाया। साथ ही कहा कि ऐसे तत्वों से निपटने मसीही समाज एकजुट हैं। आज के धरना के पश्चात इस तरह की घटनाओं से निपटने मसीही समाज द्वारा आगामी रुपरेखा तय की जायेगी। धरना उपरांत समाज के लोगों ने अपनी मांगों को लेकर अपर कलेक्टर जनकलाल पाठक को ज्ञापन सौंपा। धरना में अध्यक्ष पास्टर नेलसन डेनियल,कम्युनिटी चर्च भिलाई के फादर अर्पण तरुण समेत विभिन्न चर्च के फादर के अलावा रुपेश कुमार, डी.सी. हेंडरी,एल.बी. रंगा,विजय दास के अलावा बड़ी संख्या में मसीही समाज के लोग शामिल थे।

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बेमेतरा के मटका में उतरे रमन

दुर्ग, 16 अप्रैल। ग्राम सुराज अभियान के तहत आज मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जिले के बेमेतरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम मटका में उतरे। ग्रामवासियों से सीधी चर्चा के बाद उन्होंने गांव में सीसी सड़क निर्माण को अपनी मंजूरी दी। इसके अलावा तालाब गहरीकरण और वृक्षारोपण करने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह प्रदेशव्यापी ग्रामसुराज अभियान के तहत आज सबसे पहले कवर्धा पहुंचे। वहां चौपाल लगाने के पश्चात वे सीधे हेलीकाप्टर के जरिए बेमेतरा के ग्राम मटका में उतरे और ग्रामवासियों से रूबरू चर्चा की। चर्चा के दौरान ग्रामवासियों ने गांव की कच्ची सड़क को पक्का करने की मांग की। गांववालों का कहना था कि बरसात के मौसम में इस सड़क की वजह से उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा आवागमन में भी असुविधा होती है। डॉ. सिंह ने तत्काल सीसी सड़क निर्माण को मंजूरी दी। बाद में गांववालों ने तालाब के गहरीकरण और वृहद वृक्षारोपण की ओर भी मुख्यमंत्री का ध्यानाकृष्ट कराया।

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जे.पी सीमेंट के प्रति नागरिकों में बढ़ता जा रहा है आक्रोश

भिलाई, 16 अप्रैल। इस्पात नगरी भिलाई में अतिशीघ्र शुरू होने वाले जे.पी सीमेंट प्रबंधन के प्रति नागरिकों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। इसके पूर्व उच्च विद्युत दाब की आपूर्ति करने के मामले में रिसाली एवं मरौदा सेक्टर के नागरिकों ने सीमेंट प्रबंधन एवं विद्युत विभाग के प्रति आक्रोश व्यक्त करते हुए उन्हें काम करने से रोक दिया था। अब जानकारी मिली है कि भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा जे.पी सीमेंट के द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रदूषण से बचने के लिए सेक्टर-4 के समस्त आवासों से संयंत्र कर्मियों को हटाकर अन्यंत्र आवास आबंटित किया जा रहा है। सीमेंट प्रबंधन के खिलाफ आवाज उठाने वाले एक पार्षद को भी निलंबित किया जा चुका है। इस संबंध में विधायक, सांसद एवं अन्य जनप्रतिनिधियों की चुप्पी संदेहास्पद है।
गौरतलब है कि जब से जे.पी सीमेंट के कारखाने का निर्माण शुरू हुआ है, तब से इसका प्रबंधन लगातार विवादों के दायरे में रहा है। इस कारखाने में काम करने वाले कर्मचारियों, अधिकारियों की नियुक्ति रीवा (मप्र) क्षेत्र से की जा रही थी। स्थानीय नागरिकों द्वारा इस प्रणाली का विरोध करने पर भिलाई के प्रतिष्ठित होटलों में भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की गई। आज भी इस कारखाने में 75 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी एवं अधिकारी छत्तीसगढ़ के बाहरी प्रदेशों से है। जिनमें उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के कर्मचारी ज्यादा संख्या में है। इस बीच यह जानकारी मिली थी कि नगर निगम के बिना अनुमति के इस कारखाने की स्थापना की गई है। जब यह चर्चा गरम हुई तो न निगम प्रशासन की ओर से इस संबंध में कोई बयान जारी किया गया और न ही कारखाना प्रबंधन की ओर से इस बारे में कोई खंडन किया गया। कारखाने के आसपास निवासरत कई नागरिकों ने बताया कि भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा सेक्टर-4 के समस्त आवासों में रह रहे संयंत्र कर्मियों को अन्य सेक्टरों में बसाने की नीति तैयार कर ली गई है। इसका अर्थ यह हुआ कि जब इस कारखाने से उत्पादन शुरू होगा तब प्रदूषण इतना फैलेगा कि दो से पांच किलोमीटर की परिधि में कोई भी नागरिक निवास नही कर सकता।
जे.पी सीमेंट कारखाने को सुविधाएं देने के मामले में भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन के आला अफसरों ने बहुत रूचि दिखाई है। पहले तो जनप्रतिनिधियों के बिना अनुमति के इस कारखाने को उच्च विद्युत दाब की सुविधा प्रदान की गई। इसके बाद इसकी उपयोग में आने वाले जल के लिए मरौदा टैंक को अति विस्तार रूप दिया गया। बताया यह भी जा रहा है कि छत्तीसगढ़ प्रदूषण निवारण मंडल की बिना अनुमति के इस कारखाने में उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। सीमेंट प्रबंधन से जुड़े सूत्र बताते है कि कारखाने में निर्मित चिमनियां जिनकी ऊंचाई आवश्यकता से बहुत कम है में भी प्रदूषण फैलाने में सहायक साबित होंगी। इसके पूर्व जामुल में स्थित ए.सी.सी सीमेंट के प्रदूषण से जामुल एवं आसपास के लोग त्रस्त हो चुके है। ए.सी.सी सीमेंट प्रबंधन द्वारा संध्या 6 बजे के बाद छोड़ी जाने वाली असहनीय गंध के संबंध में इसी सप्ताह नागरिकों ने स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। लगभग यही स्थिति जे.पी सीमेंट में उत्पादन शुरू होने के बाद बन जाएगी।

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धान के कटोरे में शराब का शबाब

दुर्ग, 16 अप्रैल। धान के कटोरे में इन दिनों धान कम शराब ज्यादा नजर आने लगी है। प्रदेश में इन दिनों जहां गली-कूचों में शराब खुलेआम बिकती नजर आ रही है वहीं दूसरी ओर दूध की उपलब्धता धीरे-धीरे कम होती जा रही है। कल तक गांव-गांव में और शहरों में दूध की सहज उपलब्धता थी आज दूध ढूंढे नहीं मिलता। वहीं बच्चों, बूढों से लेकर नौजवान शराब के इतने आदि हो चुके हैं कि अब वे दूध की जगह शराब पीते नजर आते हैं।
प्रदेश में जिस तेजी से शराब की खपत बढ़ी है उसी तेजी के साथ दूध की उपलब्धता भी घटी है। लिहाजा 8-10 रुपए किलो में आसानी से मिलने वाला दूध आज ढूंढे नहीं मिलता। राजधानी में सांची, अमूल, दिनशॉ, एबीस सहित कई कंपनियों के पैकेट दूध मिल भी जाता है। लेकिन गाय-भैंस का दूध नहीं मिल पाता। वहीं घर-घर दूध पहुंचाने वाले लोग भी इन दिनों मोटी कमाई में लगे हुए हैं। बाजार में मिलने वाला पैकेट दूध 12 रुपए में मिल जाता है, दूध बेचने वाले इन पैकेट दूध को जमा कर उनमें पावडर और पानी मिला देते हैं और गाय-भैंस का दूध बताकर 30 से 35 रुपए प्रतिकिलो में बेच देते हैं। ऐसे में आम जनता के स्वास्थ्य से कैसा खिलवाड़ हो रहा है, यह देखने वाला कोई नहीं है।
दूध महंगा-शराब सस्ती
प्रदेश में इन दिनों जहां दूध की मात्रा धीरे-धीरे घट रही है वहीं शराब की मात्रा कई गुना अधिक बढ़ गई है। ऊपर से शराब की कीमतों में अचानक आई गिरावट से शराबियों के पौ बारह हो गए हैं। कल तक भिलाई में शराब का पौवा 50 रुपए तक में बिकता था अब इसके मूल्य में सीधे 10 रुपए की कटौती कर दी गई है। इसी तरह बोतल में सीधे 50 रुपए, अध्धी में 20 रुपए और बच्चा में 5 रुपए की कमी कर दी गई है। जबकि कई शहरों में इसी शराब की बढ़ोत्तरी भी कर दी गई है। इस तरह शराब ठेकेदारों की मनमानी चल रही है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों में एक ही ब्राण्ड की शराब अलग-अलग कीमतों में बिक रही है जिस पर आबकारी विभाग का कोई नियंत्रण नजर नहीं आता।

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पुलिस क्यूं नहीं करती शराब कर्मियों के चरित्र का सत्यापन

भिलाई, 16 अप्रैल। सामान्य तौर पर आम नागरिकों को रोज-रोज नए कानून का पाठ पढ़ाने वाली पुलिस शराब ठेकेदारों के प्रति कुछ ज्यादा ही समर्पित है। पुलिस के आला अफसर नागरिकों यह आदेश रोज देते हैं कि वे अपने किराएदारों एवं घरेलू नौकरों के संबंध में लिखित जानकारी रोज प्रदान करें परंतु शराब ठेकेदारों से यह कभी नहीं कहा जाता कि वे उनकी दुकानों में कार्यरत नौकरों की पृष्ठभूमि अथवा उनकी नियुक्ति के बारे में जानकारी प्रदान करें। जनता जानना चाहती है कि क्या पुलिस की नजरों में आम नागरिकों एवं शराब ठेकेदारों के बीच कैसा अंतर है।
यहां यह बताना गैर जरूरी नहीं है कि कुछ दिनों पूर्व हाउसिंग बोर्ड भिलाई निवासी बीयर बार संचालक के घर में जेल से फरार एक कैदी अशोक शर्मा के छदम नाम से रह रहा था जिसे नागरिकों को किराएदारों की सूची देने के लिए प्रताडित करती है। उधर शराब ठेकेदारों के कर्मचारियों के बारे में कभी भी जांच पड़ताल नहीं की जाती। कई शराब ठेकेदारों के यहां बिहार, पंजाब, उत्तरप्रदेश एवं हरियाणा सहित दीगर प्रदेशों से आए हुए युवक पहलवान अथवा लठैत के पद पर कार्य करते हैं। इनकी पृष्ठभूमि भी अपराधों से भरी होती है परंतु नजदीक के किसी भी थाने की पुलिस के रिकार्ड में इनसे संबंधित जानकारी नहीं होती। आम नागरिकों के दिलो दिमाग में एक प्रश्र बार-बार बिजली की तरह कौधता है कि आखिर पुलिस शराब ठेकेदारों के सामने इतना ज्यादा नतमस्तक क्यूं हो जाती है। कहीं ऐसा तो नहीं कि सिपाही से लेकर आला अफसर तक ठेकेदारों के अहसानों तले दबे हुए हैं।
देखने में यह भी आया है कि पुलिस शराब ठेकेदारों से इतने सारे काम फ्री में कराती है जिसे बेगारी कहा जाता है कि बदले में पुलिस उन्हें कानून का डंडा दिखाने से डरती है। इसलिए कभी कभी पुलिस उनके लिए कानून तोडऩे से भी पीछे नहीं हटती। एक समय था जब पंजाब में आतंकवाद चरमसीमा पर था तो पंजाब से आए मेहमानों का भी चरित्र सत्यापन करना पड़ता था अब प्रदेश में नक्सलवाद हावी है तो शराब ठेकेदारों को पुलिस ने छूट क्यूं दे रखी है।

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उपलब्धियों के नाम पर सिफर रहा महापौर का सौ दिन
कांग्रेस पार्षद दल का आरोप


दुर्ग, 16 अप्रैल। महापौर डॉ. शिवकुमार तमेर के कार्यकाल का सौ दिन पूरा हो गया है और ये सौ दिन उपलब्धियों के नाम पर शून्य रहे है। महापौर ने शपथ ग्रहण करने के बाद कहा था कि सौ दिन में उनका काम दिखने लगेगा। किन्तु ऐसा एक भी काम नहीं दिख रहा है जिसे उल्लेखनीय कहा जाएँ। नगर निगम क्षेत्र के बाशिन्दे पहले की तरह आज भी मूलभूत सुविधायों के लिए तरस रहे है और जन समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है। विकास कार्यो पर भी विराम लगा हुआ है। उक्ताशय की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये पार्षद एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष देवकु मार जंघेल, अब्दुल गनी, संजय कोहले, अमृत लोढ़ा, राजेश शर्मा, इंदर चंद्राकर, अनिल देवांगन युवराज ठाकुर, शकु न ढीमर, कन्या ढीमर, मधु सिंह, सुशीला खिलाड़ी, सरोजनी चंद्राकर, सवाना बाई मंडावी, लक्ष्मी यादव आदि ने एक संयुक्त ब्यान में कहा कि महापौर डॉ. शिवकुमार तमेर से नागरिकों ने जो उम्मीदें बांध रखी थी वे सौ दिनों में ही टूटने लगी है।
उन्होंने कहा कि महापौर ने पेयजल समस्या के समाधान को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनायी थी, किन्तु इस समय के समाधान के लिए उन्होंने कोई कारगर पहल नहीं की। इस संदर्भ में कांग्रेसी पार्षदों के सुझावों को भी अमल के लायक नहीं समझा, जिसका दुष्परिणाम नगरवासी घनघोर पेयजल संकट के रूप में भुगत रहे है। इस वर्ष गर्मी में लोग न सिर्फ बंूद-बंूद पानी को तरस रहे है, बल्कि नगर निगम की निष्क्रियता और लापरवाही के चलते प्रदूषित जल का सेवन करने बाध्य हो रहें है। स्थिति यह है कि नगर निगम के टैकंरों से आईल और लेट्रीन मिले पानी की आपूर्ति की जा रहीं है। कांग्रेस पार्षद ने कहा है कि महापौर और नगर निगम के सभापति दोनों ही पेशे से चिकित्सक है, उसके बावजूद नगर निगम का अमला लापरवाही बरतकर जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहा है। नागरिकों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित कराने में महापौर पूरी तरह असफल सिद्ध हुए है। जगह-जगह लगे कचरे के ढेर और गंदगी से बजबजाती नालियों से उड़ती सडांत ने लागों का सांस लेना दूभर कर रखा है। उन्होंने कहा है कि सड़कों के उड़ते धूल के गुबार और टूटी-फूटी नालियों से बहता गंदा पानी नगर निगम के नकारेपन की पोल  खोल रहा है। प्रदूषित पेयजल और साफ सफाई व्यवस्था के चौपट होने के कारण अनेक वार्डो में लोग संक्रामक रोगों से ग्रसित होते जा रहें है।
कांग्रेसी पार्षदों ने कहा है कि विकास कार्यो के मामले मे भी पेयजल योजना की तरह ही दुर्ग नगर निगम लगातार पिछड़ता जा रहा है। अपने वार्डो के छोट-मोटे विकास कार्यो के लिए पार्षद निगम दफ्तर में दस्तक देते है तो संबंधित अधिकारी संसाधनों की कमी का रोना रोकर अपने हाथ खड़े कर देते है। निगम की निष्क्रियता के कारण पार्षदों को नागरिकों से खरी-खोटी सुननी पड़ती है। पिछले सौ दिनों में नए विकास कार्य तो दूर की बात है। पुराने आधे-अधूरे पड़े विकास की एक भी ठोस योजना नहीं बन पाई है और न ही मूलभूत सुविधाओं के विस्तार का कोई उल्लेखनीय कार्य हो पाया है। पूत के पांव पालनेे में ही दिख रहे हैं और महापौर व उनकी टीम नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली कहावत  को चरितार्थ करती नजर आ रही है।

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