दुर्ग, 21 अप्रैल। म.प्र./छ.ग. नगर पालिका (भवनों/भूमियों) के वार्षिक मूल्य का अवधार नियम 1997 के नियम 5 वार्षिक भाड़ा मूल्य की दर प्रत्येक नगर पालिक निगम द्वारा नियम 4 में वर्णित मापदंड अनुसार प्रत्येक प्रकार के भवनों एवं भूमियों के लिए उनके निर्माण की गुणवत्ता उपयोग व स्थिति के आधार पर वार्षिक भाड़ा मूल्य का प्रत्येक परिक्षेत्र (जोन) में पृथक-पृथक दर निर्धारित की जाएगी, परंतु ऐसी भूमि जिस पर कृषि हो रही है अथवा भवनों से संलग्न भूमि (मार्जिनल ओपन स्पेस) वार्षिक भाड़ा मूल्य की गणना से मुक्त रहेगी।
भवनों में संलग्न भूमि (ओपन मार्जिनल स्पेस) को और अच्छी तरह परिभाषित करने हेतु की ये भूमि वार्षिक भाड़ा मूल्य के योजना से मुक्त रहेगी, अधिसूचना क्र. 108-अट्ठारह-3-97, दिनांक : 30/09/1997 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है, जो मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) दिनांक : 30 सितंबर 1997 में प्रकाशित है। उक्त संशोधनों से स्पष्ट है कि संपत्तिकर आरोपण में केबल भवन के निर्मित क्षेत्र की ही गणना की जाएगी, ना कि संलग्न भूमि की। इस तरह नगर पालिक निगम दुर्ग में वर्ष 1997-98 से भवन के निर्मित क्षेत्र पर ही संपत्तिकर रोपित कर वसूली की जा रही थी, परंतु वर्ष 2009-10 में निगम द्वारा भवन से संलग्न भूमि का मूल्यांकन कर संपत्तिकर आरोपित किया जाकर आम नागरिकों से एकतरफा व जबरिया टैक्स वसूला जा रहा है, जो नियम विपरीत है। इस संबंध में आयुक्त या सक्षम अधिकारी को स्पष्ट करना चाहिए कि 30 सितंबर 1997, में नियम-5 में किया गया संशोधन प्रभावशील है अथवा नहीं।
इसी तर्ज पर तरूण टाकीज में निर्मित क्षेत्र तथा रिक्त भूमि पर करारोपण में लापरवाही के आरोप में सहायक राजस्व निरीक्षक सुनील मसीह को आयुक्त नगर पालिक निगम दुर्ग द्वारा निलंबित किया गया है, जबकि उसने 1997-98 से चली आ रही विवरणी अनुसार टैक्स की वसूली की है। यदि ये नियम प्रभावशील नहीं है तो प्रत्येक वार्ड में लगभग 60 प्रतिशत भवनों की स्थिति यही है तो क्या आयुक्त द्वारा सभी 58 वार्डों में सहायक राजस्व निरीक्षकों के निलंबन की कार्यवाही की जाएगी।
आयुक्त द्वारा अभी तक संबंधित विभाग या अधिकारियों को इस प्रकार की वसूली हेतु लिखित में कोई आदेश या सूचना जारी नहीं की गई है। जिससे सहायक राजस्व निरीक्षकों में भ्रम की स्थिति है। इसमें शहर के रसूखदार लोगों अपना विभिन्न संगठन पदाधिकारियों को मौखिक रूप से ही रियायत दी जा रही है। इस तरह निगम के सक्षम अधिकारियों द्वारा संपत्तिकर के आरोपण का दोहरा मापदंड अनुचित एवं समझ से परे है। इससे केवल आम जनता (संपत्तिकर दाता) एवं नगर पालिक निगम के अधीनस्थ कर्मचारियों पर ही गाज गिरनी तय है। वार्ड 7 के पार्षद व अपील समिति के सदस्य आशुतोष सिंह ने उक्त बातें कही।
००००
महापौर के शतक में न चौका, न छक्का
दुर्ग, 21 अप्रैल। शहर कांग्रेस सेवादल के अध्यक्ष व प्रवक्ता प्रकाश गीते, महिला सेवादल अध्यक्ष व पार्षद कन्या ढीमर सेवादल महामंत्री व पार्षद युवराज ठाकुर तथा सेवादल ब्लाक अध्यक्ष राहुल अग्रवाल ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा है कि 100 दिन पूरा कर लेने के पश्चात महपौर डा. शिवकुमार तमेर का यह बयान कि उनका 100 दिन का कार्यकाल सफलता से ओतप्रोत रहा है, सरासर झूठी और बेबुनियाद है। अगर महापौर में कार्य करने का जज्बा और जुनून होता तो 3 माह 10 दिन का कार्यकाल भी सौगातों भरा हो सकता है। किंतु महापौर का यह कहना 3 माह 10 दिन का समय काफी कम होती है, उनकी राजनीतिक, अनुभवहीनता, अदूरदर्शिता का परिचायक है। इतने समय में योजनाओं को बनाकर उस पर अग्रिम कार्यवाही का कदम उठाया जा सकता था। लेकिन महापौर शायद यह भूल गए कि राज्य में शासन सत्ता भाजपा की है। प्रभारी मंत्री व सांसद का निवास उन्हीं के क्षेत्र में है।
शहर की जनता ने जिस आशा और उम्मीद के साथ डा. तमेर को महापौर बनाया तो सबके मन में यह अलख विश्वास था कि एक पढ़ा-लिखा विद्वान आदमी इस पद को सुशोभित करेगा तो निश्चित रूप से शहर की जनता का हित संवर्धन होगा, जनता की उम्मीदें धरी रह गई। केवल पढ़ा-लिखा होने से काम नहीं चलता बल्कि सेवा व समर्पण की भावना अगर जनप्रतिनिधि में नहीं है तो उनका पद पर बने रहना दुर्भाग्यजनक घटना के समान ही रह जाता है। इन 100 दिनों में बड़ी से बड़ी सौ से भी ज्यादा समस्याओं से जनता रूबरू हो रही है। संक्रामक बीमारियां अपना पांव पसारते जा रही है। शिवनाथ नदी के जल का उपयोग पेयजल के रूप में होता है किंतु इस दिन में सीवरेज का पानी मिल रहा है, जिस ओर महापौरका ध्यान नहीं है। दूति जल के उपयोग से पीलिया एवं डायरिया के संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। निगम द्वारा पूर्ति किए जा रहे जल की जांच की अत्यंत आवश्यकता है। फिल्टर प्लांट के लाखों रूपयों का मशीन भी सही रखरखाव के अभाव में ठीक ढंग से कार्य नहीं कर पा रहा है। आने वाले आपदा विपदा से बचे के लिए महापौर के पास कोई ठोस कदम नहीं है।
पुराने किए गए विकास एवं निर्माण कार्यों जैस चौपाटी, पुष्पवाटिका, राजेंद्र पार्क, दादा-दादी पार्क, गौरव पथ सही रखरखाव के अभाव में जर्जर होने की स्थिति में हैं। तालाबों का यह शहर आज शुद्ध जल के लिए तरस रहा है यह दुर्भाग्य का विषय है। जब प्यास लगे तब कुआं खोदने वाली बात है। तालाबों का गहरीकरण एवं सौंदर्यीकरण गर्मी के मौसम के पूर्व ही हो जाना था। साथ ही तालाबों के सूखने की स्थिति में उसमें जल भराव की उचित व्यवस्था की रूपरेखा पहले से ही तैयार कर लेना चाहिए था। विकास के नाम पर जनता को धमकी देने का कार्य किया जा रहा है। व्यवसायी एवं फुटपाथ में छोटे-मोटे व्यवसाय करने वाले लोगों को परेशान किया जा रहा है। नगर निगम का पूरा पैसा व्यर्थ के आडंबरों एवं विज्ञापनों में खर्च किया जा रहा है। महंगे दामों से बने जलकलश जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। गोकुलधाम, ट्रांसपोर्ट नगर, शापिंग कांपलेक्स कागजों तक सिमटकर रह गई है। जनता खासी नाराज है और अपनी परेशानी को मन मसोस कर बर्दाश्त कर रही है। लचर व्यवस्था के चलते आम जनता को बुनियादी सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। डाक्टर से महापौर बने शिवकुमार तमेर को जनता की नब्ज समझ में नहीं आ रहा है। जनता आकुल-व्याकुल, हताश-परेशान, चिंतित-उदास हैं। उनकी दुख-पीड़ा, संवेदना को जांचने-परखने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है, यह दुर्भाग्यजनक स्थिति है। अव्यवस्था का ऐसा ही आलम रहा तो शहर जल्द ही अपना गौरव खो देगा। विगत कई वर्षों से दुर्ग का अन्य जिलों की तुलना में विशेष स्थान रहा है, किंतु यहां के स्थानीय मंत्री हेमचंद यादव के लफ्फाजेदार भाषण व घोषणा से जनता उब चुकी है। अभी तक महापौर और विधायक ने ऐसा कोई कार्य नहीं किया है, जिसकी शहर में चर्चा हो। उनका आलस्यता का यह आलम है कि अति महत्वपूर्ण पद में बने रहने के बावजूद भी जनता की समस्याओं से रूबरू नहीं है। जनता बिलख रही है। बिना पालक के बालक जैसी स्थिति निर्मित हो गई है।
कांग्रेस पार्टी का हरसंभव प्रयास रहा है कि जनता की एक-एक समस्याओं को मीडिया को अवगत कराए तथा सरकार पर दबाव बनाए। अभी तक कुछ विशेष कार्य महापौर और विधायक के माध्यम से नहीं हुआ है, जो भी हुआ है तो वह केवल कांग्रेस पार्टी के युवा नेता पूर्व विधायक अरूण वोरा के जुझारू प्रयासों से ही संभव हुआ है। पूर्व विधायक अरूण वोरा द्वारा शहर की समस्या, वृहद पेयजल योजना, जेल तिराहा से मिनीमाता चौक तक विकास कार्यों का लेखा-जोखा से मुख्यमंत्री से अवगत कराया था। महापौर के इन 100 दिनों का कार्यकाल व विधायक के दो वर्षों के कार्यकाल जनता को 100-100 आंसू रूलाने का कार्य ही है। शीघ्र ही इन सोए हुए जनप्रतिनिधियों को जाग जाने की आवश्यकता है नहीं तो जनता इन्हें भाग जाने पर मजबूर कर देगी।
०००
दाल मिल मशीन में फंसकर महिला मजदूर की मौत
दुर्ग, 21 अप्रैल। शिवपारा स्थित विजय दाल मिल में कार्यरत एक महिला मजदूर की बीती रात मशीन में फंसकर मौत हो गई। मृतका फगनी ढीमर 45 वर्ष पति देवलाल शिवपारा की ही निवासी थी। फगनी की मौत की खबर से क्षेत्र के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था। शिवपारा की कांग्रेस पार्षद कन्या ढीमर मृतका फगनी बाई की रिश्तेदार हैं। सूचना पर पार्षद कन्या ढीमर मौके पर पहुंची थी। घटना के पीछे उन्होने मिल प्रबंधन की लापरवाही बताई। साथ ही फगनी की मौत पर मुआवजा की मांग भी की गई। लेकिन मिल प्रबंधन इससे टालमटोल करता रहा,जिससे लोगों में आक्रोश था। बहरहाल कोतवाली पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले को जांच में लिया हैं।
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक शिवपारा निवासी फगनी बाई ढीमर रोजाना की तरह मंगलवार को भी विजय दाल मिल में काम करने गई थी। शाम को करीब 7 बजे वह मशीन में काम कर रही थी। तभी फगनी का साड़ी मशीन के पट्टे में फंस गया और देखते-देखते पट्टे के साथ फगनी खिंचती चली गई व अंत में मशीन में फंसकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। मशीन में फंसने से फगनी के कमर, गला में गंभीर चोंटे आई थी। मशीन में फंसी फगनी को अन्य मजदूरों के सहयोग से निकाला गया तथा उपचार के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया गया। जहां उपचार के दो घंटे बाद फगनी ने दम तोड़ दिया। घटना की खबर से क्षेत्र के लोग मौके पर पहुंच गए। पार्षद कन्या ढीमर भी घटनास्थल पहुंची और विजय दाल मिल के संचालक को मुआवजा की मांग की गई। लेकिन दाल मिल प्रबंधन ने पार्षद के मांग को गंभीरता से नही लिया। जिससे लोगों में आक्रोश था।
०००
शंकर नाला की सुध लेने कलेक्टर को ज्ञापन
दुर्ग, 21 अप्रैल। संभावित बाढ़ से होने वाली जन-धन की हानि के मद्देनजर कांग्रेस पार्षद दल ने आज जिला कलेक्टर से मुलाकात कर उन्हे एक ज्ञापन सौंपा। इस दौरान कांग्रेसियों ने शंकरनाला के अलावा शहर के अन्य प्रमुख नालों के संबंध में कलेक्टर से आवश्यक चर्चा की और उन्हे स्थिति-परिस्थितियों से अवगत कराया। सौंपे गए ज्ञापन में कांग्रेस पार्षद दल ने कहा हैं कि विगत दो-तीन वर्षो पहले बरसात में आए शंकरनाला के बाढ़ में 3 लोगों की जान जा चुकी हैं। शंकरनाला के आसपास के बस्तियों में रहने वाले हजारों लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा हैं। शंकरनाला के सुदृढ़ीकरण के लिए निगम को 12 करोड़ रुपये स्वीकृत हैं मगर 5 वर्षो में बमुश्किल 3 कि.मी. से ज्यादा कार्य नहीं हो पाया हैं। शंकरनाला का सुदृढीकरण का कार्य 8 कि.मी. अभी भी बचा हैं इस वर्ष जनवरी से लेकर अप्रैल माह बीतने वाला हैं आधा कि.मी निर्माण कार्य नहीं कराया गया हैं। बेहद ही उपेक्षापूर्वक एक सरकारी पुल का निर्माण कराने में चार माह का समय लगा दिये हैं जिस वजह से लोगों का आवागमन बाधित कर दिये हैं। शंकर नाला जहां तक बना हैं और जिस भाग में काम होना हैं वह स्थान मलमा, कूड़ा,करकट और झाडिय़ों से अटा पड़ा हैं जो नाला से नाली बन गया हैं। मई माह में छिटपुट पानी गिरना शुरु हो जाता हैं, सफाई नहीं होने से बाढ़ की आशंका तीव्र बनी हुई हैं। नाले का मलमा सफाई करने के आदेश आयुक्त को देवें। शहर में शक्तिनगर, कसारीडीह, केलाबाड़ी, आदर्श नगर में स्थित नाले की भी सही स्थिति में जो मलमों एवं झाडिय़ों से अटे पड़े हैं बरसात में इन नालों से आसपास के लोग बाढ़ से प्रभावित होते हैं जन-धन की हानि की संभावना बनी रहती हैं, बरसात पूर्व इन नालों की सफाई करना अति आवश्यक हैं जिस संबंध में आयुक्त नगर निगम दुर्ग को निर्देशित करेंगे।
०००
जहर सेवन : महिला की मौत
दुर्ग, 21 अप्रैल। थानखम्हरिया थानांतर्गत ग्राम भूसंडी निवासी देवंतीन बाई 40 वर्ष पति भागीलाल की जहर सेवन से मौत हो गई। महिला ने किन कारणों से जहर का सेवन किया था, फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाया हैं। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले को जांच में लिया हैं। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक देवंतीन बाई ने आज सुबह घर में जहर का सेवन कर लिया था। जहर के असर से उसकी हालत बिगडऩे लगी, परिजनों को जब तक इसकी खबर लगी। उसकी हालत चिंताजनक हो गई थी। घबराए परिजनों ने देवंतीन को जिला अस्पताल लाकर भर्ती करवाया। जहां देवंतीन ने दम तोड़ दिया।
०००
अग्निदग्ध युवक चल बसा
दुर्ग, 21 अप्रैल। आग से गंभीर रुप से झुलसे सोहनलाल 25 वर्ष पिता भादू सिकोलाभाठा निवासी की आज सुबह उपचार के दौरान जिला अस्पताल में मौत हो गई। एक हादसे में मृतक सोहन 10 अप्रैल को करीब 60 से 70 फीसदी झुलस गया था। परिजनों ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती करवाया था। आज सुबह उसने अंतिम सांसे ली। मोहन नगर पुलिस ने मर्गकायम कर मामले की जांच शुरु कर दी हैं।
०००
खुद ही लौट आया लापता व्यवसायी
भिलाई, 21 अप्रैल। सुपेला थानांतर्गत नेहरु रोड नेहरु भवन के पास स्थित कांत मोबाइल एवं स्टेशनरी मार्ट के लापता संचालक ज्योतिकांत अग्रवाल 38 वर्ष घटना के चार दिन बाद नाटकीय ढंग से वापस घर लौट आए। ज्योतिकांत अग्रवाल का अपहरण हुआ था या वह स्वयं कहीं चले गए थे फिलहाल इन सवालों पर पुलिस कुछ भी बोलने से परहेज कर रही हैं। ज्योतिकांत के वापस लौटने के बाद शहर में कई चर्चाएं गर्म हैं। खबर मिली हैं कि ज्योतिकांत अग्रवाल का आईपीएल क्रिकेट सट्टा व बीसी में बड़े तौर पर संलिप्तता उजागर हुई हैं। इस अवैधानिक कार्यो में ज्योतिकांत अग्रवाल की लाखों में देनदारी थी। लेनदारों से बचने ज्योतिकांत स्वयं लापता हो गया था। लेकिन अधिकारिक तौर पर इस वाक्ये की पुष्टि नहीं हो पाई हैं। इधर दूसरी ओर ज्योतिकांत के नाटकीय ढंग से वापस लौटने पर व्यापारियों में भारी आक्रोश हैं। व्यापारियों का कहना था कि ज्योतिकांत ने पुलिस को गुमराह कर अपहरण का षडय़ंत्र रचा था। जिसकी वजह से पूछताछ के बहाने पुलिस ने कई व्यापारियों को थाने लाया था। व्यापारियों ने पुलिस से मांग की हैं कि ज्योतिकांत ने षडय़ंत्र रचकर पुलिस को गुमराह किया हैं। ऐसे तत्व को सबक सिखाने ज्योतिकांत के खिलाफ अपराध दर्ज किया जाना चाहिए। ज्योतिकांत अग्रवाल 15 अप्रैल की रात अचानक घर से लापता हो गए थे। दूसरे दिन चंद्रा मोर्या टाकीज के पास उनकी बजाज डिस्कव्हर मोटर सायकल लावारिश हालत में मिली थी। जिससे अपहरण जैसी घटना को लेकर पुलिस के होशफाख्ता हो गए थे। मोटर सायकल के लावारिश हालत में मिलने व ज्योतिकांत का कोई सुराग नहीं मिलने से परिजन ने पुलिस के समक्ष अपहरण की संभावना जताई थी। जिससे ज्योतिकांत के लापता होने का मामला काफी संगीन हो गया था। पुलिस ज्योतिकांत का सुराग जुटाने हाथ-पांव मारती रही। लेकिन उनका कुछ भी पता नहीं चल पाया था। बताया गया हैं बीती रात लापता ज्योतिकांत अग्रवाल अचानक अपने नेहरु नगर नेहरु भवन के पास स्थित आवास में पहुंचे। लापता होने का ज्योतिकांत अग्रवाल ने परिजनों को क्या कारण बताया फिलहाल इसका खुलासा नहीं हो पाया हैं। लेकिन परिजनों ने बताया कि ज्योतिकांत बीती रात खुद ही घर पहुंचे थे। इधर यह भी चर्चा हैं कि पुलिस ने ज्योतिकांत अग्रवाल को ढूंढ निकाला। लेकिन पुलिस इस बात का खुलासा नहीं कर रही हैं कि ज्योतिकांत को कहां से भिलाई लाया गया। वे खुद गए थे या किसी ने उसका अपहरण किया था इस सवाल का जवाब अभी भी रहस्य बना हुआ हैं।
०००
bade log to dyan dete nahi jaan to gareebo ki jati hai
जवाब देंहटाएं