शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

काहे का सुराज

दुर्ग, २३ अप्रैल। इस प्रतिनिधि ने जब एक अधिकारी से पूछा कि इस भीषण गर्मी में ग्राम सुराज अभियान चलने का क्या औचित्य है? तब उक्त अधिकारी का जवाब था कि इस समय गांव में खेती-किसानी का काम बंद रहता है, गांव वाले खाली रहते हैं, इस अभियान के तहत गांव में पहुंचने वाले अधिकारियों को अपनी समस्याएं बताने के लिए उपलब्ध रहते हैं।
वैसे तो गांवों में इतनी समस्याएं हैं कि कभी भी, किसी भी मौसम में वहां पहुंचे, समस्याओं से संबंधित ढेरों का आवेदन उनको मिल जाएंगे। जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक ब्लाक में जनसमस्या निवारण शिविर लगाए जाते हैं। इन शिविरों में जितना संभव हो सके, विभिन्न विभागों से संबंधित समस्याओं का निराकरण शिविर स्थल पर ही करने का प्रयास किया जाता है। दुर्ग जिले में सुुराज अभियान के कुछ समय पूर्व ही जनसमस्या निवारण शिविर लगाए गए थे, इसके बावजूद इस साल के सुराज अभियान के पहले चरण में हजारों समस्याएं आवेदन के रूप में अधिकारियों को सौंपी जा चुकी है। आवेदनों का ढेर ले लेने से सुराज नहीं आ जाएगा। उन समस्याओं का निराकरण भी करना पड़ेगा, जिनकी जानकारी अधिकारियों को ग्रामीणों से मिलती है। सुराज अभियान के पहले चरण में सुराज दल पांच दिनों में 920 ग्रामों में पहुंच चुका है। अधिकांश ग्रामों में दल को यह शिकायत मिली कि पूर्व के अभियानों में दिए गए आवेदनों का निराकरण अभी तक नहीं हो सका है। जिले के प्रभारी मंत्री हेमचंद यादव जब बेरला विकासखंड के ग्राम भिंभौरी में इस अभियान का निरीक्षण करने पहुंचे तो गांववालों ने पिछले साल उनके द्वारा की गई घोषणा के बारे में पूछताछ की।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष हेमचंद यादव ने भिंभौरी में एनीकट निर्माण का वायदा किया था। इसी प्रकार कुसुमकसा ग्राम पंचायत के निवासी भी अधिकारियों से बहुत नाराज हैं। वहां की ढेरों लंबित समस्याओं का समाधान अभी तक नहीं हो सका है। उल्लेखनीय है कि दो वर्षों पूर्व इसी नाराजगी के चलते सुराज अभियान के लोगों को गांव वालों ने बंधक बना लिया था। इस ग्राम पंचायत में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। यहां के ग्रामीण 30 बिस्तर वाला अस्पताल स्थापित करने की मांग लम्बे समय से करते चले आ रहे हैं। पूर्व में 14 सूत्रीय मांग पत्र सुराज अभियान दल को सौंपा गया था, जिस पर कोई कार्यवाही अभी तक नहीं हुई है। बेमेतरा से लगभग 6 किलोमीटर दूर ग्राम सिरवाबांधा के लोगों ने गांव की मूलभूत समस्याओं का समाधान न होने से नाराज होकर वर्तमान में चल रहे सुराज अभियान के दूसरे दिन सुराज दल के लोगों को कुछ घंटों को बंधक बना लिया था। बाद में वरिष्ठ अधिकारियों ने वहां पहुंचकर दल के लोगों को बंधनमुक्त कराया था। इस पहले चरण में अनेक गांवों में सुराज दल को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा है। पाटन विकासखंड के ग्राम झींठ में जब पहले दिन प्रभारी मंत्री पहुंचे थे तो गांव वालों ने उनसे मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में घोषित 30 बिस्तर अस्पताल के बारे में याद दिलाया। जब मुख्यमंत्री की घोषणा पर अभी तक अमल नहीं हो सका है तो दिए गए आवेदनों के निराकरण क्या होगा?
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2 टिप्‍पणियां:

  1. नरेश एक बात बताओ तुम समाचारों को अपने ब्लाग पर हर रोज कितने बजे डालते हो। हमेशा अपडेट रहना बड़ी बात है। इसी तरह लगे रहो भाई.. एक तुम ही हो जिससे ब्लाग के बहाने ही सही दुर्ग-भिलाई को जानने में मदद मिलती है।

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