गुरुवार, 6 मई 2010

महापौर ने दिए व्यवस्था बनाने के निर्देश

दुर्ग, 05 मई। कैलाश नगर तितुरडीह क्षेत्र में नहर नाली खुदाई के दौरान बंद निकासी नाली से क्षेत्र में गंदे पानी का जमाव हो गया। महापौर डॉ. शिव कुमार तमेर को इसकी सूचना होते ही उन्होंने विभागीय अधिकारियों को व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए। कार्यपालन अभियंता आर.के. साहू, सहा. अभियंता आर.के. जैन, उपअभियंता ए.आर. रहंगडाले तथा टी.के. देव मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान वार्ड पार्षद श्रीमती सबाना मंडावी, नेताप्रतिपक्ष श्रीमती निर्मला साहू व क्षेत्र के नागरिक मौके पर मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि 13-14 वर्षो से बंद तांदुला नहर नाली की खुदाई जिले के प्रभारी मंत्री के अनुमति से नगर पालिक निगम दुर्ग के द्वारा कराया गया। महापौर डॉ. तमेर ने इस नहर नाली के माध्यम से क्षेत्र में स्थित सिकोला बस्ती, शक्ति नगर, कैलाश नगर, दीपक नगर तालाबों को भर कर लोगों को निस्तारी सुविधा देने का प्रयास था। इससे एक तो लोग निस्तारी करेगें और दूसरी ओर आस-पास क्षेत्र का भू-जल स्तर भी बढ़ा है। बरसों बाद उन तालाबों मे गर्मी के समय लोगों को निस्तारी के लिए पानी मिलेगा। गर्मा के समय तालाब का पानी सूख जाया करता था लेकिन अब वैसी स्थिति नहीं रहेगी। 13 ïवर्षो के बंद नहर नाली के ऊपर अधिकांश लोगों ने अतिक्रमण कर लिया था जिसे क्षेत्रिय पार्षदों की मदद से हटाया गया है। वे नहीं चाहते थे कि इस नहर को पुन: चालू किया जावेगा। इसी कारण खुदाई के बाद पानी छोड़े जाने के समय कई स्थानों से नहर को फोड़ दिया जा रहा था यहॉ के जागरूक पार्षद देवनारायण चंद्राकर, कांशीराम कोसरे व नागरिकों के सहयोग से रात-रात भर निगरानी कर खुदाई परी की गई। कैलाश नगर तितुरडीह क्षेत्र के घरों का गंदा पानी नहर से होकर आगे ब्रान मील के बाजू से होते हुए शक्ति नगर नाला से निकास होता था। नहर खुदाई के दौरान उक्त निकासी मुहाना को पानी निकासी के लिए पाईप डालने बंद कर दिया था इससे लोगों के घरों का गंदा पानी यहां स्टोर हो गया वहीं नहर में पानी आने से गंदा पानीकैलाश नगर तितुरडीह के सड़कों, गलियों के अंदर व नालियों के ऊपर तक भर गया। जिसकी सूचना मिलने पर महापौर डॉ. शिव कुमार तमेर ने तत्काल व्यवस्था बनाने अधिकारियों को निर्देश दिए।

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जनमत संग्रह की बातें हताशा भरी

दुर्ग, 05 मई। लोकतंत्र,विकास और आतंकवाद विषय पर नई दिल्ली में आयोजित परिचर्चा में राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा नक्सलियों को जनमत संग्रह संबंधी चुनौती संबंधी व्यक्त विचार तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ संग्राम परिषद ने इसे नक्सल समस्या का निराकरण करने में विफल मुख्यमंत्री की हताशा भरी विचार निरूपित किया है और इसे राष्टï्रीय एकता और अखंडता के लिए खतरनाक बताया है।

छत्तीसगढ़ संग्राम परिषद के संगठन सचिव राजकुमार गुप्त एवं उपाध्यक्ष सहदेव साहू ने कहा कि नक्सलवाद पर जनमत संग्रह से अनेक समस्याएं खड़ी हो सकती है। मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने कश्मीर के भारत मे विलय का विरोध करते हुए जनमत संग्रह की मांग की थी जिसे सख्ती से खारिदज किया गया था। जम्मू कश्मीर आज भी हिंसा और आतंकवाद की पीड़ा भोग रहा है। नक्सलवाद पर जनमत संग्रह से जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह की मांग को बल मिलेगा इससे वहां की स्थिति और भी कठिन हो जायेगी। हिंसा और आतंकवाद से पीडि़त पूर्वोत्तर के राज्यों से भी जनमत संग्रह की मांग जोर पकड़ सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह स्वयं अथवा उनकी पार्टी जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्य मेंं, जनमत संग्रह के खिलाफ ही खड़ी रहेगी। छत्तीसगढ़ संग्राम परिषद के नेताओं ने कहा कि राज्य की पुलिस पहले ही नक्सल समस्या का समाधान करने में विफल साबित हो चुकी है, डॉ. रमन सिंह के जनमत संग्रह संबंधी विचार से ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें आपरेशन ग्रीनहंट की सफलता पर भी संदेह है और वे पूरी तरह से हताश हो गये है। यदि उन्हें जनमत संग्रह का इतना ही शौक है, तब हाल में ही संपन्न ग्राम सुराज यात्रा को ही जनमत संग्रह मानकर तत्काल स्टीफा दे देना चाहिए क्यों कि लाखों की संख्या मे जनशिकायतें इस बात को प्रमाणित करती है कि राज्य की सरकार पर जनता का विश्वास नहीं रह गया था। जहां तक भारत निर्वाचन आयोग के माध्यम से जनमत संग्रह का सवाल है निष्पक्षता और पारदर्शिता की पूरी कोशिश के बाबजूद निर्वाचन अधिकारियों के पक्षपात, आचर संहिता के घोर उल्लंघन, धन शराब एवं बाहुबल के प्रभाव को चुनाव के दौरान जनता अच्छी तरह देखती समझती है। 

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