बुधवार, 12 मई 2010

पानी बचाने हुआ चिंतन

दुर्ग, 12 मई। जिले में घटते भूजल स्तर को रोकने शासन प्रशासन के प्रयास जारी हैं। विशेषज्ञों के अनुसार भूजल स्तर को रोकने रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम वरदान हैं। गिरते भूजल स्तर और रैनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की उपयोगिता पर आधारित कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों ने बीआईटी दुर्ग के सभाकक्ष में मौजूद लोगों को जरुरी बातों से अवगत कराया। कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों ने लोगों के प्रश्नों का जवाब देकर उनके जिज्ञासाओं का भी निदान किया। कार्यशाला में जिला कलेक्टर ठाकुर रामसिंह,महापौर डॉ. शिवकुमार तमेर, भिलाई महापौर विद्यारतन भसीन, सभापति डॉ. देवनारायण तांडी,पार्षद दिनेश देवांगन, अजय वर्मा,शिवेन्द्र परिहार,देवकुमार जंघेल,संजय कोहले,इंदर चंद्राकर,जिला पंचायत के सीईओ एस.प्रकाश,आयुक्त एस.के. सुंदरानी समेत अन्य अधिकारी व जनप्रतिनिधि मौजूद थे। जनप्रतिनिधियों ,प्रशासनिक अधिकारियों एवं गणमान्य नागरिकों ने कार्यशाला के दौरान जल बचाने का संकल्प लिया। नगर निगम दुर्ग द्वारा रैन वाटर हार्वेस्टिंग कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों ने बताया कि भूजल स्तर का गिरना चिंता का विषय हैं। बढ़ती आबादी के कारण शहरीकरण व कांक्रीटीकरण के कारण वर्षा का पानी भूमि तक नहीं पहुंच पा रहा हैं। जिसके कारण भूजलस्तर घट रहा हैं। घटते भूजल स्तर को कैसे रोकें। इसके लिए उन्होने रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को उपयोग में लाने की बात कही। उन्होने बताया कि 6सौ वर्गफीट के मकान में भी रैन वाटर हार्वेस्टिंग किया जा सकता हैं। रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए बजरी,गिटटी, कोयला व रेत का इस्तेमाल होता हैं, जो सिस्टम बहुत आसान है। उन्होने बताया कि ज्यादा बोर खनन भी जल स्तर गिरने का कारण हैं। एक कालोनी में 5 बोर से अधिक नहीं होने चाहिए तथा दो बोर खनन के बीच कम से कम 2सौ से 3सौ फीट की दूरी होनी चाहिए। पास-पास दो बोर खनन नहीं होना चाहिए। इससे दोनों बोर के फेल होने का खतरा होता हैं।
कार्यशाला में विशेषज्ञों ने रुफटाप रैनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर भी प्रकाश डाला। उन्होने बताया कि रुपटाप रैनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के माध्यम से वर्षा के जल को छतों में संग्रहित कर उसे विभिन्न तकनीक से भूमिजल के रुप में संग्रहित किया जाता हैं।

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